यह लोकतान्त्रिक अधिकारों की लड़ाई है..याद रहे:
“..पहले वे आए
यहूदियों के लिए
...और मैं कुछ नहीं बोला
क्योकि
मैं यहूदी नहीं था।
फिर वे आए
कम्युनिस्टों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
मैं कम्यु निस्ट नहीं था।
फिर वे आए
मजदूरों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योकि मैं मज़दूर नहीं था।
फिर वे आए
मेरे लिए
और कोई नहीं बचा था
जो मेरे लिए बोलता।...”
-पास्टिर निमोलर
(हिटलर काल के जर्मन कवि)
“..पहले वे आए
यहूदियों के लिए
...और मैं कुछ नहीं बोला
क्योकि
मैं यहूदी नहीं था।फिर वे आए
कम्युनिस्टों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
मैं कम्यु निस्ट नहीं था।
फिर वे आए
मजदूरों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योकि मैं मज़दूर नहीं था।
फिर वे आए
मेरे लिए
और कोई नहीं बचा था
जो मेरे लिए बोलता।...”
-पास्टिर निमोलर
(हिटलर काल के जर्मन कवि)
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