इंदौर, “जापान के टोक्यो विश्व विद्यालय के विदेश शिक्षा विभाग में सन १९०८ से हिन्दुस्तानी भाषा के रूप में हिन्दी और ऊर्दू की पढाई करवाई जा रही है. आज ओसाका, ताकुशोकू, दाइतो बुनका विश्वविद्यालय सहित कई संस्थाओं में हिन्दी की पढाई की जा रही है. यही नहीं जापान में कंप्यूटर में हिन्दी के विकास पर भी विशेष शोध हो रहे है”. ये जानकार ी जापान की हिन्दी विदुषी एवं लेखिका तोमोको किकुची ने दी.वे नेशनल बुक ट्रस्ट और हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में विचार गोष्ठी को संबोधित कर रही थी. इस अवसर पर एनबीटी द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों – हिरोशिमा का दर्द सूरीनाम और नीदरलैंड की लोककथा का विमोचन भी किया गया.
उल्लेखनीय है कि हिरोशिमा का दर्द नामक पुस्तक का जापानी से हिन्दी में अनुवाद तोमोको किकुची ने ही किया है.विश्व में हिन्दी के प्रसार के सम्बन्ध में उन्होंने हिन्दी के वैश्विक रिसोर्स पोर्टल www.hindihomepage.com का विशेष जिक्र किया. उन्होंने बताया कि ये पोर्टल पूरे विश्व में फैले करोड़ों हिन्दी भाषियों के लिए एक वैश्विक मंच की तरह विकसित किया जा रहा है. इस पर विश्व की सभी प्रमुख हिदी संस्थाओं और संस्थानों के साथ हिन्दी के लिए दुनियाभर में काम करने वाले लोगों को जोड़ा जा रहा है.संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पत्र सूचना अधिकारी श्री मधुकर पंवार ने बताया कि भारत सरकार के कई विभाग अपने-अपने स्तर पर पूरी दुनिया में हिन्दी के प्रचार-प्रसार और शिक्षण का कार्य कर रहे है. श्री पंवार ने बताया कि विश्व के लगभग ६० देशों में इस समय विवि स्तर पर हिन्दी पढाई जा रही है.
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए समिति के प्रधानमंत्री श्री बसंतसिंह जौहरी ने तोमोको का अभिनन्दन करते हुए कहा कि हिन्दी के प्रति उनका अनुराग सब भारतीयों के लिए अनुकरणीय है.कार्यक्रम का संचालन एन बी टी के संपादक श्री पंकज चतुर्वेदी ने किया.
इंदौर, “जापान के टोक्यो विश्व विद्यालय के विदेश शिक्षा विभाग में सन १९०८ से हिन्दुस्तानी भाषा के रूप में हिन्दी और ऊर्दू की पढाई करवाई जा रही है. आज ओसाका, ताकुशोकू, दाइतो बुनका विश्वविद्यालय सहित कई संस्थाओं में हिन्दी की पढाई की जा रही है. यही नहीं जापान में कंप्यूटर में हिन्दी के विकास पर भी विशेष शोध हो रहे है”. ये जानकार ी जापान की हिन्दी विदुषी एवं लेखिका तोमोको किकुची ने दी.वे नेशनल बुक ट्रस्ट और हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में विचार गोष्ठी को संबोधित कर रही थी. इस अवसर पर एनबीटी द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों – हिरोशिमा का दर्द सूरीनाम और नीदरलैंड की लोककथा का विमोचन भी किया गया.
उल्लेखनीय है कि हिरोशिमा का दर्द नामक पुस्तक का जापानी से हिन्दी में अनुवाद तोमोको किकुची ने ही किया है.विश्व में हिन्दी के प्रसार के सम्बन्ध में उन्होंने हिन्दी के वैश्विक रिसोर्स पोर्टल www.hindihomepage.com का विशेष जिक्र किया. उन्होंने बताया कि ये पोर्टल पूरे विश्व में फैले करोड़ों हिन्दी भाषियों के लिए एक वैश्विक मंच की तरह विकसित किया जा रहा है. इस पर विश्व की सभी प्रमुख हिदी संस्थाओं और संस्थानों के साथ हिन्दी के लिए दुनियाभर में काम करने वाले लोगों को जोड़ा जा रहा है.संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पत्र सूचना अधिकारी श्री मधुकर पंवार ने बताया कि भारत सरकार के कई विभाग अपने-अपने स्तर पर पूरी दुनिया में हिन्दी के प्रचार-प्रसार और शिक्षण का कार्य कर रहे है. श्री पंवार ने बताया कि विश्व के लगभग ६० देशों में इस समय विवि स्तर पर हिन्दी पढाई जा रही है.
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए समिति के प्रधानमंत्री श्री बसंतसिंह जौहरी ने तोमोको का अभिनन्दन करते हुए कहा कि हिन्दी के प्रति उनका अनुराग सब भारतीयों के लिए अनुकरणीय है.कार्यक्रम का संचालन एन बी टी के संपादक श्री पंकज चतुर्वेदी ने किया.
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