आप सबका शुक्रिया पर मित्रों मेरे सवाल ज़रा बड़े है और व्यापक है क्या मोतिहारी देश का हिस्सा नहीं है या सारे छोटे कस्बे देश नहीं है क्या बुद्धिजीविता का ठेका दिल्ली बंबई ने ले रखा है क्या ? या अम्बानी, टाटा को रूपयों की भूख नहीं है.........?खुद अमिताभ भी तो इसी निन्यानवे के फेर में हरदम पड़े रहते है तो फ़िर सुशील या कोई और टारगेट क्यों क्या इसलिए कि वो ओफार पर चले आये है सार्वनाजिक बेइज्जती करवाने ..............?
आप सबका शुक्रिया पर मित्रों मेरे सवाल ज़रा बड़े है और व्यापक है क्या मोतिहारी देश का हिस्सा नहीं है या सारे छोटे कस्बे देश नहीं है क्या बुद्धिजीविता का ठेका दिल्ली बंबई ने ले रखा है क्या ? या अम्बानी, टाटा को रूपयों की भूख नहीं है.........?खुद अमिताभ भी तो इसी निन्यानवे के फेर में हरदम पड़े रहते है तो फ़िर सुशील या कोई और टारगेट क्यों क्या इसलिए कि वो ओफार पर चले आये है सार्वनाजिक बेइज्जती करवाने ..............?
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