जनपदों में इतना काम है कि एक मुख्य कार्यपालन अधिकारी नहीं ध्यान नहीं दे पाता खासकरके रोज़गार ग्यारंटी का काम.....प्रतिदिन उसे २०० से ३०० खतो आदेशो को पढना पडता है अब बताइये ऐसे में वो क्या तो गंभीरता से पढ़ता होगा और क्या उनका पालन करता होगा ऊपर से बहुत ही निठल्ले किस्म के अज्ञानी बाबूओ की फौज, कंप्यूटर से पूर्णतः अनभिज्ञ, रूपयों की लालसा में लगे ये अकर्मण्यो की टुकड़ी क्या पचायती राज को समझेगी और जनता जनार्दन को लाभ देगी. कल एक वरिष्ठ CEO जो प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के इलाके में कार्यरत है की कार्यशैली को देखा और समझा कि ये भी मानव है और कितना करेंगे अकुशल लोगो के साथ. मुझे लगता है कि जनपदों पर प्रशासनिक ढाँचे को पुनः स्वरुप देने की आवश्यकता है.
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