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परमात्मा की पहचान

भाई Neeraj Vashistha की दीवार से एक प्रेरणादायी पोस्ट:-
जीवन में प्रेम आते ही सारा दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है| इस व्यापकता का नाम ही धर्म है| सच्चे धर्म की खोज मनुष्य के भीतर जो छुपा है, उसे पहचान लेने से है| यदि नदी की तली में चट्टाने नहीं होती तो उसकी धाराओं में कोई संगीत भी नहीं होता| इस तरह मनुष्य के भीतर गहराई में उतरने पर अपनी ही पहचान का संगीत सुनाई देने लगता है| वही पहचान अंत में परमात्मा की पहचान सिद्ध होती है|

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