देश के हृदय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कम से कम महिलाओं के मामले में तो असफल ही साबित हो रहे हैं। कन्या भू्रण हत्या रोकने के लिए उन्होंने न जाने कितने जतन किए। पुत्री के जन्म पर एक लाख रूपए भी देने की योजना चलाई। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से वर्ष 2007 में आरंभ की गई सरकार की इस महात्वाकांक्षी योजना में अब तक साढ़े आठ लाख से ज्यादा लाड़ली लक्ष्मी बन चुकी हैं। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि शिवराज के ये प्रयास आज भी नाकाफी ही कहे जा सकते हैं क्योंकि लिंगानुपात के मामले में मध्य प्रदेश बुरी तरह पिछड़ चुका है। लाड़ली लक्ष्मी के नाम पर अब तक शिवराज सिंह चौहान ने अरबों खरबों रूपए पानी में बहा दिए हैं। मध्य प्रदेश के जमीनी हालात इस प्रकार हैं कि भिण्ड में लिंगानुपात 838 है। अर्थात एक हजार बालकों के सामने 142 बालिकाएं कम हैं। प्रदेश में वैध और अवैध तरीके से चलने वाले सोनोग्राफी सेंटर में भ्रूण परीक्षण अवैध तौर पर जारी बदस्तूर है। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार अब तक आठ लाख बावन हजार एक सौ छियानवे लाड़ली लक्ष्मी बनाई जा चुकी हैं। अर्थात सरकारी खजाने से 2556 करोड़ हजार रूपए निकाले जा चुके हैं। फिर भी लिंगानुपात जस का तस ही है।
मातृशक्ति को सभी बारंबार प्रणाम करते हैं, पर कोई भी महिलाओं को आगे लाने या सशक्त बनाने की पहल नहीं करता है। देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के तौर पर स्व.श्रीमति इंिदरा गांधी, अपने अध्यक्ष के तौर पर श्रीमति सोनिया गांधी के बाद देश की पहली महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, पहली लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार दिए हैं, वहीं भाजपा ने मातृशक्ति का सम्मान करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर श्रीमति सुषमा स्वराज को आसंदी पर बिठाया है। इतना सब होने के बाद भी महिलाओं के लिए 33 फीसदी के आरक्षण का विधेयक लाने में कांग्रेस को नाकों चने चबाने पड रहे हैं, जाहिर है पुरूष प्रधान मानसिकता वाले देश में महिलाओं को बराबरी पर लाने की बातें तो जोर शोर से की जातीं हैं, पर जब अमली जामा पहनाने की बात आती है, तब सभी बगलें झाकने पर मजबूर हो जाते हैं।
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से ‘‘मां तुझे सलाम . . .‘‘ का गीत जमकर बज रहा है। एसा प्रतीत हो रहा था कि सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश में स्त्री वर्ग के लिए जो महात्वाकांक्षी योजनाएं लागू की गई हैं, वे आने वाले समय में देश के लिए नजीर से कम नहीं होंगी। सुप्रसिद्ध कवि मैथली शरण गुप्त की कविता की ये पंक्तियां
-‘‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यह ही कहानी!,
आंचल में है दूध, और आंखों में है पानी!!‘‘
को शिवराज सिंह चौहान ने बदलने का असफल प्रयास किया है।
कुल पुत्र से ही आगे बढता है, की मान्यता को झुठलाते हुए शिवराज सिंह चौहान ने लाडली लक्ष्मी योजना का आगाज किया। इस योजना में आयकर न देने वाले आंगनवाडी में पंजीकृत वे पालक जिन्होंने परिवार नियोजन को अपनाया हो, अपनी कन्या का नाम दर्ज करा सकते हैं। इसमें उन्हें तीस हजार रूपए का राष्ट्रीय बचत पत्र प्राप्त होता है। इस जमा राशि से मिलने वाले ब्याज से लाडली लक्ष्मी को दो हजार रूपए एक मुश्त दिए जाते हैं, जिससे वह पांचवी तक की शिक्षा प्राप्त कर सके। इसके उपरांत आठवीं पास करने पर चार हजार रूपए, दसवीं में पहुंचने पर साढे सात हजार रूप्ए और ग्यारहवीं तथा बारहवीं कक्षा के लिए उसे हर माह दो सौ रूपयों की मदद मिलेगी। इतना ही नहीं जब वह सयानी हो जाएगी तो उसे एक लाख रूपए से अधिक की राशि मिलेगी जो उसकी शादी में काम आएगी।
लाड़ली लक्ष्मी योजना में जबलपुर संभाग से एक लाख 83 हाजर नौ सौ इकसठ, इंदौर से एक लाख तेंतीस हजार आठ सौ बीस, उज्जैन से नोरानवे हजार सात सौ तिरानवे, सागर से 89 हजार 658, भोपाल से 88 हजार तीन, ग्वालियर से 64 हजार 896, रीवा से 57 हजार 990, चंबल से 49 हजार 566, नर्मदापुरम से 44 हजार 869 एवं शहडोल संभाग से 44 हजार 634 इस तरह मध्य प्रदेश से कुल आठ लाख बावन हजार 196 लाड़ली लक्ष्मी बन चुकी हैं। इस तरह प्रत्येक लाड़ली लक्ष्मी को तीस हजार रूपए का बचत पत्र देकर शिवराज सिंह चौहान द्वारा अब तक इस मद में 2556 करोड़ 58 लाख अस्सी हजार रूपए व्यय किए जा चुके हैं।
आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि अरबों खर्च कर भी नहीं बेटियों को बचायान नहीं जा पा रहा है। इन सबके बाद भी मध्य प्रदेश में लिंगानुपात का बढ़ता निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। मध्य प्रदेश में लिंगानुपात के मामले में अव्वल है केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला ग्वालियर चंबल संभाग। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कर्मभूमि रहे और वर्तमान में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा के हाल भी बेहद ही बुरे कहे जा सकते हैं। सुषमा जो खुद एक महिला हैं कि क्षेत्र में लिंगानुपात की दर 897 है।
हालात देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि बेटियों को बचाने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशाओं पर उनके आला अधिकारी ही पानी फेरते नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार की महात्वाकांक्षी लाड़ली लक्ष्मी को अन्य प्रदेशों ने भी अंगीकार कर लिया है। मध्य प्रदेश के डेढ़ दर्जन से भी अधिक जिलों में लिंगानुपात काफी कम है जिससे शिवराज सिंह चौहान सरकार के बेटी बचाओ अभियान को संदेह की नजरों से देखा जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्र में लिंगानुपात का बढ़ना चिंताजनक ही माना जा रहा है। इसमें अव्वल जिला भिण्ड है, जहां एक हजार बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या महज 838 है। इसी तरह मुरेना में 839, ग्वालियर में 862, दतिया में 875, शिवपुरी में 877 है। लिंगानुपात के मामले में छटवीं पायदान पर कांग्रेस प्रवक्त सत्यव्रत चतुर्वेदी के प्रभाव वाला छतरपुर है जहां 884, सागर में 896, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कर्मभूमि एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा में 897, रायसेन में 899, अशोकनगर में 900, टीकमगढ़ में 901, श्योपुर में 902, पन्ना में 907, राजधानी भोपाल में 911 तो होशंगाबाद में 912 का आंकड़ा सामने आया है।
भाई आवेश तिवारी के नेटवर्क ब्लॉग से.........
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