हम तो मुसाफिर हैं, कोई सफ़र हो, हम तो गुज़र जाएँगे ही
लेकिन लगाया है जो दांव हमने , वो जीत कर आएँगे ही...
देव साहब का जाना एक पुरे युग का अंत है और बस फिल्म उद्योग का गाइड चला गया क्या बिंदास आदमी था और क्या ज़िंदगी जी उसने................बस रोना धोना छोड़कर उसका जीवन जीने का अनुसरण करें तो ज्यादा बेहतर होगा...........जिसने कहा था "शोखियो में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमे फ़िर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब होगा जो नशा फ़िर तैयार वो प्यार है ......."
सलाम उस जज्बे और हिम्मत को जो टूटा बिखरा और फ़िर जोश के साथ पुनः खड़ा हुआ बारम्बार.....
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