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अलविदा- 2011

साल 2011 जा रहा है, बहुत कुछ छीन लिया इस साल ने हमसे, स्टीव जॉब, भूपेंन हजारिका, इंदिरा गोस्वामी, सत्यदेव दुबे, श्रीलाल शुक्ल, हमारे जिंदगी को गुनगुनाने वाले जगजीत बाबू, सदाबहार देव साहेब, जिंदगी के कैनवास पर सपनों के रंग भरने वाले मकबूल फिदा साहब और कलम के सिपाही अदम गोंडवी साहब .. ना जाने कितने ऐसे लोग जो काल के विशाल गाल में ऐसे समा गए है कभी लौट कर नहीं आ सकते, कुछ यादों के सहारा अलविदा- 2011. साल का आख़िरी पल ऐसे गुजरेगा पता नहीं था सारे तो लोग चले गए...........दूर देखने पर कुछ नजर नहीं आता ..........बहुत गहरे जख्म और सदमे भरा एक जिन्दगी का एक और साल रफ्ता रफ्ता गुजर ही गया..............बस अब थोड़ी बहुत चिंताएं है तो आनेवाले कल की और फ़िर उससे जुडी अपेक्षाओं, उम्मीदों और सम्भावनाओं की...... बस कही से खुशियों की खबरे मिलती रहे ताकि सपने ना लहुलूहान हो ना जीवन में दर्शन या तर्क खोजना ना पड़े...........बस इन्ही कुछ दुआओं के साथ नए साल का स्वागत और सबको ढेर सारी प्यार भरी शुभकामनाएं............

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