ये जो दो जेब है पैंट में
सर्दी के ठिठुरते मौसम में दोनों हाथों को छुपा लिया
ना जाने कितने मौकों पर लजाते हुए या डरते हुए
हाथों को दी पनाह कि शर्मिंदगी ना उठानी पड़े किसी के सामने
जब हाथ डाला किसी ने या खुद ने भी
जरुर कुछ ना कुछ लौटाया है जेबों ने-
चाहे मैले कुचेले टिकिट हो,
या धोबी की पर्ची या चक्की पर डाले गये डिब्बे की रसीद
जेब से कभी निकले नहीं खाली हाथ
एक सिगरेट या माचिस या बीडी के अद्दे भी निकले मुफलिसी के दिनों में
कितना कुछ समेटा इन दो जेबों ने मेरे जीवन को
एक जेब में गन्दा सा रूमाल और दूसरे में लगभग फटा बटुआ
जिसमे होने को माशुका की धुंधली पडती जा रही तस्वीर
और चंद सिक्कों के अलावा कुछ नहीं था
घर से मिलें जेब खर्च को इन्ही जेबों की सतह से
चिपकाकर रखा करता थाऔर अक्सर चोरी के डर से
इस जेब से उस जेब और उस जेब से इस जेब में वही चीकट
बटुआ बदला करता था
उसकी लिखी चिठ्ठियां
कई बार धूल गई जेब मे
जब माँ ने निचोड़ दिए दोनों जेब पैंट के साथ
पर फ़िर भी आश्वस्त करती थी कि
अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है
इन्ही जेबों मे रखे कई पुर्जों और सामान से
रंगे हाथों पकड़ा गया मै घर मे, दोस्तों मे
पर वही हाथों को डालकर जेब मे
मुँह नीचेकर पछता लिया और फ़िर धीरे से मुस्कुराकर
फ़िर से तैयार हो गया कि एक बार फ़िर
छोडूंगा नहीं किसी को
कभी निकला ऐसा भी सामान जिसने तार-तार कर दी
इज्जत बाप-माँ की समाज मे
और सबके सामने भदेस बनकर
रोता रहा घंटों, पर इन्ही दो जेबों मे हाथ डालकर
फ़िर आई हिम्मत
इस तरह मैंने पूरा किया जेबों से जीवन का
असहनीय दर्द और सीखा जीना मुँह उठाकर
बरसात में भीगते हुए कई बार जब कांपने लगता बदन तो
इन्ही जेबों में डालकर हाथ कुडकुडा लेता और पैदल लौट आता था घर को
कि कभी तो माँ बाप को अपनी जेबों से निकालकर दूंगा दुनिया की अप्रतिम चीजें
गर्मी में डालकर हाथ, हथेली पर बासते पसीने को इन्ही जेबों के
अस्तर से पोछा है अपने और फ़िर निकाला वही रूमाल जिसने माथे की सलवटों पर
चुहाते पसीने को भी निथारा था.
कितना कुछ रखा मैंने यदि हिसाब लगाऊं आज तो शायद
दुनिया की संदूकें छोटी पड जायेगी
पेन, पर्चियां, रेवड़ी, चाकलेट, और माँ के हाथ बने लड्डू
से लेकर दोस्तों के कई राज इन्ही जेबों में छुपे है
और अगर आज ये जेबें खुल जाये तो सच में टूट जाएगा
सदियों का विश्वास और आस्था
पैंट में दो जेब होना एक आश्वस्ति है
जीवन के सच का सामना करने
और सारे रहस्य छुपा लेने की अदभुत कला है
जिसने भी बनायी होगी पैंट सोचा तो होगा
उसने तन और इज्जत के लिए पर
जेब लगाकर उसने सच में बचा ली
पूरी दुनिया की इज्जत
और एक विशाल संसार खोल दिया
सारी प्रकृति की संपदा रखने का
यह ईजाद एक अदभुत ईजाद है
जिसे समझ ना पायेगा
कोई भी बस सहजता से
करता रहेगा इस्तेमाल और
बारम्बार छुपाता रहेगा दुनिया के रहस्य
अपनी मुफलिसी, छोटी छोटी पर्चियां जिनमे से
आती रहेगी प्रेम की खबरें
जो इस दुनिया को बदलने के लिए काफी है
Comments
mureed ho gaya.