प्रिय मित्र अनिल गुलाटी जी एक अच्छे सम्प्रेषण अधिकारी होने के साथ उत्कृष्ट दर्जे के फोटोग्राफर भी है, यह उनके चित्रों को देखकर समझा जा सकता है. प्रकृति, आसमान, पानी, जंगल, और तितलियों के चित्र उनके इस जूनून का परिचायक है कि वे भोर सुबह उठकर अपना कैमरा लेकर कभी जंगल या कैरवा बाँध पर पहुँच जाते है. सफर में हो या समाज के गरीब बच्चों के साथ काम करते हुए एक "दृष्टि" हमेशा उनके पास रहती है जो उन्हें लालायित करती है कि वे क्षणों और स्थितियो को अपने कैमरे में दर्ज कर ले. यह एक महत्वपूर्ण कार्य है जो एक इतिहास या समय के हर उस पल को पकडना चाहता है कि कैसे इसे एक धरोहर के रूप में संजोकर रख पाए और बल्कि इसके आगे और भी कि आम लोगों तक मीडिया या अन्य माध्यमों से पहुंचा पाए.
अनिल जी की इस प्रदर्शनी में उनके चित्रों का होना यह आश्वस्त करता है कि सिर्फ पर्यावरण के नारे लगाने से काम नहीं बनेगा बल्कि इसे अपने दैनंदिन जीवन में भी अपनाना होगा, तभी हम बचा पायेंगे एक धरती जहां उन्मुक्त रूप से विचरण कर सकेगी बेहद संवेदशील नाजुक तितली और घूम सकेगी एक बड़े आकाश में जो हमेशा से हरेक का आसरा रहा है.
मित्रों, यहाँ जाकर आप सच में पायेंगे कि कितना कुछ है जो हम अपने आसपास देख नहीं पाते, बचा पाना तो दूर की बात है. ऐसे अमूल्य चित्रों की थाती की बानगी प्रस्तुत करती यह प्रदर्शनी जरुर आपको प्रभावित करेगी और जेहन में लंबे समय तक याद रखी जा सकेगी. एक अभूतपूर्व आयोजन के लिए अनिल जी को अग्रिम शुभकामनाएँ ......
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