साल की पहली रात पर कितना मौंजू................
इसी खंडहर में कहीं कुछ दिये हैं टूटे हुए ,
उन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात
- फ़िराक़ गोरखपुरी
सौजन्य - भाई Nilambuj Singh
साल की पहली रात पर कितना मौंजू................
इसी खंडहर में कहीं कुछ दिये हैं टूटे हुए ,
उन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात
- फ़िराक़ गोरखपुरी
सौजन्य - भाई Nilambuj Singh
इसी खंडहर में कहीं कुछ दिये हैं टूटे हुए ,
उन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात
- फ़िराक़ गोरखपुरी
सौजन्य - भाई Nilambuj Singh
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