कोई कहेगा कि ये है सरकारी अस्पताल................बेहतरीन विश्व स्तरीय सुविधाएँ.........यह नवजात शिशु कक्ष है जहां बहुत कमजोर और जन्म के समय होने वाले क्रिटिकल बच्चों को रखा जाता है . इस कक्ष में एक वरिष्ठ डाक्टर और चार पी जी मेडिकल ऑफिसर्स होते है इसके अलावा पीजीआई, चंडीगढ में प्रशिक्षित नर्सेस भी रहती है यह कक्ष चौबीस घंटे काम करता है. इसके होने से शिशु मृत्यु दर में बेहद कमी आई है. इस हेतु मप्र शासन, और साथ ही स्वास्थय के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं को निश्चित रूप से बधाई दी जाना चाहिए. और सबसे अच्छी बात कि यह सबके लिए है पूर्णतया निशुल्क एवं दवाई भी बाजार से नहीं लाना पडती. आज मानूंगा कि यूनिसेफ का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है और प्रेरणास्पद भी. Anil Gulati जैसे साथी वहाँ होने से ऐसे कामों में बहुत गति आई है और मप्र से शिशु मृत्यु दर में हाल ही में जारी आंकड़ों से कमी आई है. यह प्रदेश के लिए एक शुभ संकेत भी है और आने वाले समय के लिए एक अच्छा सन्देश भी. यह प्रदेश के अधिकाँश जिलों में है और जहां नहीं है वहाँ स्थापित किये जा रहे है. यकीन मानिए ये एक सरकारी अस्पताल है और मेरा उन सभी को सलाम जो पूरी तन्मयता के साथ इस काम में लगे है.
मित्रों
मैंने आज से प्रण किया है कि अगर बीमार रहा तो मै इलाज सरकारी अस्पताल में
ही करवाउंगा बस थोड़ा धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा, उपस्थित
डाक्टरों की मजबूरी को समझ कर अपना इलाज करवाउंगा और उन्है सहयोग करूँगा
क्योकि अब हालात बदल रहे है. सब फ्री है
दवाई और सलाह हर तरह की जांच की सुविधा और सब पूर्ण रूप से निशुल्क है.
क्या कोई सोच सकता है कि अब डायलेसिस भी सरकारी अस्पतालों में होने लगा है
वो भी इतने साफ़ सुथरे माहौल में कि यकीन नहीं होता पर यह तस्वीर एक सबुत है
आप सबके लिए. एक सरकारी अस्पताल में एक बेहद गरीब अपना डायलेसिस करवाता
हुआ.
आपने क्या सोचा है..... ??? मित्रों, निजी अस्पतालों के जाल से निकलो और सरकारी अस्पताल में जाओ उनकी विश्वसनीयता कायम करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
आपने क्या सोचा है..... ??? मित्रों, निजी अस्पतालों के जाल से निकलो और सरकारी अस्पताल में जाओ उनकी विश्वसनीयता कायम करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
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