जीवन की सडकों पर सपनों के पेड़ लगे थे और पेड़ों के नीचे दुश्कालों की छाँह थी
उस
घने जंगल में कोई ऐसी राह नहीं थी जो कही जाकर मिलती थी और कही से सूरज
की रोशनी उस राह पर दिखती भी नहीं थी, बस सघन पेड़ों के बीच से कुछ किरणें
यूँ झाँकती थी मानो तुमने कही से एक सुनसान में आवाज दे दी हो..........और
एकाएक पक्षियों का कलरव गान गूँज उठा हो..........
कई दिनों के बाद मिलना ऐसा ही है जैसे अभी-अभी ख़्वाबों से जाग कर उठे और सामने पसरी ज़िंदगी को देखकर बस रो दिए !!!
लगता है इस चाँद की रोशनी में लगातार उतार चढ़ाव आने से सूरज की चमक में कई कई परतें चढ गई है जैसे किसी ने उचककर कह दिया हो ले जाओ यहाँ से अपनी तीखी रोशनी नहीं तो दो बाल्टी पानी फेंक देंगे.........और इस सबके बीच धरती तो एकदम अँधेरे में ही रही यहाँ-वहाँ से सच में देखो ज़रा इसे पलटकर..........
लंबे दिनों के बाद एक हल्की सी बहुत छोटी सी रात आई थी और सपनों के पंख उग आये ऐसे जैसे किसी अबाबील के सर पर उग जाये एक झंझाड
धूप
जैसे सपनों में खिली चांदनी और चलते चलते लगता है मानो एक फुहारों की गली
से आहिस्ते आहिस्ते गुजरते हुए उस शिखर पर जाना है जहां कबीर ने कहा था कि
सब माया है.....
नींद की खुमारी में सड़क पर चलते हुए याद ही नहीं रहा कि एक लंबा बेबस युग बीत रहा है, समय सरक रहा है, साँसों का सफर पूरा हो रहा है, स्पंदन की गति मंद पड़ गई है, नब्ज़ थमती जा रही है और जीवन कहाँ जा रहा हो- पता नहीं, जैसे एकदम सरसराता हुआ सांप निकल जाये सामने से और हम चाहकर भी पकड़ ना पायें उसे......
बहुत देर तक ताका किया उस बाट को जहां से गुजरा था एक कल, एक अतीत और कुछ अपने पल, फ़िर लगा कि आने वाला कल भी ऐसी ही किसी राह पर लटकता सा आता होगा, बस मुँह मोड दिया एकदम और छोड़ दिया ताकना-झांकना कि बस कोई कल नहीं और कोई बाट नहीं सब कुछ छोड़ देंगे.
नींद की खुमारी में सड़क पर चलते हुए याद ही नहीं रहा कि एक लंबा बेबस युग बीत रहा है, समय सरक रहा है, साँसों का सफर पूरा हो रहा है, स्पंदन की गति मंद पड़ गई है, नब्ज़ थमती जा रही है और जीवन कहाँ जा रहा हो- पता नहीं, जैसे एकदम सरसराता हुआ सांप निकल जाये सामने से और हम चाहकर भी पकड़ ना पायें उसे......
कोख से कब्र के सफर में चार दिन ऐसे बीत रहे है जैसे सूतक लगा हो खुशियों को छूने से.....
बहुत देर तक ताका किया उस बाट को जहां से गुजरा था एक कल, एक अतीत और कुछ अपने पल, फ़िर लगा कि आने वाला कल भी ऐसी ही किसी राह पर लटकता सा आता होगा, बस मुँह मोड दिया एकदम और छोड़ दिया ताकना-झांकना कि बस कोई कल नहीं और कोई बाट नहीं सब कुछ छोड़ देंगे.
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