ये
है शनि सिंह, कटनी शहडोल रेल्वेमार्ग पर एक छोटा सा गाँव आता है जहां मटके
और सुराही बहुत मिलती है "चंदिया" वहाँ के रहने वाले है. इनके पिता की
मृत्यु बचपन में हो गई थी. घर में एक अपाहिज बड़ा भाई और माँ है सो ट्रेन
में गाना गाकर और माँ शारदा के भजन गाकर पैसा इकठ्ठा करते है और फ़िर देर
रात घर पहुंचकर खाने का सामान खरीदते है तब कही जाकर तीनों प्राणी खाना खा
पाते है. ये कक्षा छः में पढते है दोपहर ग्यारह बजे तक स्कूल फ़िर ट्रेन का
सफर..........इस तरह से जीवन की गाड़ी में अपने साथ दो और लोगों को बिठाकर
हिन्दुस्तान के विकास की ट्रेन में जा रहे है. अब इन पर ना नजर पडती है
शिवराज सिंह जी की, ना नितीश बाबू की ना युग पुरुष मोदी जी की. मौन मोहन
सिंह तो सर्व शिक्षा का फ्लेगशिप चलाकर आशान्वित है कि "सब ठीक है" सही भी
है कोई क्यों देखे इन कलंकों को, क्योकि ये ससुरे देशभर में इतने ज्यादा
है कि क्या करें और क्यों करे .........पिछले जन्म के पाप है इनके भुगतने
दो अपने को क्या और बाकि सब तो शाईनिंग इंडिया में लगे है छोडो ना सुबह
सुबह.......कहा गंदे-शंदे बच्चों के फोटो........छी....!!! — with Anil Gulati.
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