अन्ना
आंदोलन से मेरे वैचारिक मतभेद रहे है पर आज जब अरविंद को भूख हडताल पर
बैठे देख रहा हूँ तो दुःख इसलिए हो रहा है कि वो शक्कर की बीमारी के मरीज
है वो भी घातक स्तर की शक्कर, यह मै खुद जान सकता हूँ कि यह कितना आत्मघाती
कदम है क्योकि मै खुद भी इसी लाईलाज बीमारी का शिकार हूँ और यदि दो से तीन
घंटे में कुछ खाया नहीं तो हालत पस्त हो जाती है और लगता है कि अब गया कि
तब गया...........एक व्यक्ति के रूप में वो बेहद अच्छे इंसान है और इस
बीमारी के साथ लड़ते हुए वे अनशन पर ना बैठे या कम से कम तरल फलो का ज्यूस
लेते रहे यही कामना और अनुरोध है. मै खुद इस समय इससे लड़ रहा हूँ अपने माँ
और पिता को शक्कर की बीमारी से खो चुका हूँ.............इससे घातक और कोई
बीमारी नहीं है आज सुबह जब एनडीटीवी पर उनके माता पिता कह रहे थे तो मुझे
एक पल के लिए लगा कि ये क्या हो रहा है इस देश में........सब भूल गया मै और
सिर्फ शुगर के मरीज को देखते हुए मुझे यह लगा कि अरविंद को अनशन नहीं करना
चाहिए हर हाल में नहीं..........उन्हें समझाओ भाई ........
Comments