मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे
ना जाने मुझे क्यूँ यक़ीं हो चला है
मेरी याद को तुम मिटा ना सकोगे
मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम
कभी नग़्मा बन के, कभी बन के आँसू
तड़पता मुझे हर तरफ़ पाओगे तुम
शमा जो जलायी मेरी वफ़ा ने
बुझाना भी चाहो बुझा ना सकोगे
कभी नाम बातों में आया जो मेरा
तो बेचैन हो होके दिल थाम लोगे
निगाहों पे छायेगा ग़म का अंधेरा
किसी ने जो पूछा सबब आँसुओं का
बताना भी चाहो बता ना सकोगे
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