घोंघल जो एक गाँव है
घोंघल एक छोटा सा गाँव है खंडवा जिले में और गत अठारह दिनों से लोग पानी में गल रहे है कि अपनी माटी अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. ये वो लोग है जिन्होंने सरकार बनाई है देश में, प्रदेश में और इस देश के संविधान के हिसाब से सम्मानित नागरिक है और इन्हें भी वही अधिकार प्राप्त है जो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री या किसी जिला कलेक्टर को एक नागरिक के नाते होते है पर पांवों का यह रंग हमारी व्यवस्था पर उगता हुआ नासूर नहीं है? यह दर्शाता नहीं कि कितने भोंथरे हो चुके है हम..........
बेशर्मों की बस्ती में शिवराज सिंह कहते है यह सब नाटक है और सरकार बाँध की ऊँचाई और बढायेगी बजाय कम करने के..........यह पाँव आपका, मेरा या हममे से किसी का भी हो सकता है याद रखिये शिवराज जी , यही वो पाँव है जो अभी पानी में गल रहा है मुख्यमंत्री जी समय आया तो यह चलकर आपकी गद्दी पर पहुंचेगा और फिर इन्हें पांवों तले सत्ताएं उजड़ते हुए हम सबने इतिहास में देखी है.
थोड़ी शर्म बाकी है और कहने को ही सही कि आप जनता के नुमाईंदे हो - एक बार विचार कर लो वरना दिल्ली का हश्र देखा है ना, यही जनता कैसे पांवों तले महत्वकांक्षाओं को कुचलकर ठिकाने भी लगा देती है.........
और मीडिया के मित्रों एक बार जाओ कभी तो जनता के हितों की बात करो, कब तक ओसवालों, जायसवालों और अग्रवालों के चक्कर में पड़कर चिकनी चुपड़ी किटी पार्टियों और साधू संतों से पेज तीन भरते रहोगे या ब्यूरोक्रेट्स और पुलिस वालों को ब्लेकमेल करके दारु पीते रहोगे? जाओ यार, घूमकर ही आ जाओ - नर्मदा माई के दर्शन ही कर आओ, अपनी बीबी और बच्चों को ले जाओ - दिखा लाओ गाँव के लोग कि देखो कैसे गंदे लोग है कि इतनी सी दो कौड़ी की जमीन के लिए पानी में डूब रहे है - पगले कही के, यकीन मानो आपके बच्चे बढ़िया निबंध लिखकर पुरस्कार कमा लेंगे या तस्वीर खिचकर इनाम जीत लेंगे...जाओ यार एक बार जाओ प्लीज़ ?
II
इससे तो बेहतर है कि फेसबुक पर समय बीताया जाए, यहाँ आप लोगों से दुनिया जहां की गपशप की जाए और हाथों में एक बीयर हो या जाम शान्ति तो ऐसे ही मिलेगी मितरों............मंदिर मस्जिद में शान्ति खोजना बेकार है.....
II
आज कुछ मित्र आये थे, घर की गर्मी से बोर होकर हम शहर के कुछ शांत कहे जाने वाली जगहों पर गए ताकि कुछ हवा मिलें और बातचीत कर सकें. अव्वल तो पार्क है नहीं शहर में जो है वो बेहद घटिया और भीड़ वाले है लिहाजा दूर दराज के मंदिरों में गए कि चलो शान्ति होगी और स्वस्थ माहौल होगा, एक के बाद एक मंदिर में घूमते रहे पर कान फोडू आरती भजन और ढोल धमाकों ने बैठने ना दिया, हर जगह पागलों की तरह माईक पर बेसुरे स्वरों में आरती गाते तीन चार लोग - जो निरंतर आधे - आधे घंटों से लेकर एक घंटे तक आरती गा रहे है, फिर भजन और फिर नीचे बैठकर झांझ मंजीरे...वाहियात, एक जगह शांत से बैठे ही थे कि अजान शुरू हो गयी, बेहद कर्कश आवाज में अल्लाह को याद किया जा रहा था शुक्र यह था कि भोंपू थोड़ा उंचा था वरना मेरे जैसा कमजोर आदमी सुनकर मर ही जाए...फिर सड़क पर बारात "आमी काका बाबा नी पोरिया से लेकर काल कौव्वा काट खायेगा" जैसे वाहियात गानों पर नाचते युवा और महिलायें, वाह रे सड़क और वाह रे नाच बनाम संस्कृति. एक मंदिर तो जिला कलेक्टर के घर के पास है - बिलकुल पास, आसपास के लोगों ने बताया कि सुबह चार बजे से ये भौंडा प्रदर्शन चालू हो जाता है फिर अजान और और फिर भजन, हवन और शाम को फिर किसी के घर में पूजा पाठ और मन्दिर में अभिषेक आदि.
कहाँ है हाई कोर्ट के आदेश और क्या यह प्रशासन को नहीं मालूम कि इसे पालन करवाना है सडकों पर भौंडे बैंड बाजों और डी जे को लेकर चलने वालों पर पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार करती सब साजो सामान, ऊपर से प्रशासन परीक्षाओं के समय प्रतिबन्ध लगाता है बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं देता. एक शहर में एक शांत जगह नहीं है जहां कोई बैठकर समय गुजार सकें. मैंने कई बार इसी वाल पर यह समस्या खासकरके ध्वनी प्रदूषण, की लिखी है पर कोई ध्यान नहीं देता. एस पी हो या जिला कलेक्टर इन्हें ना हाई कोर्ट की परवाह है, ना किसी और की - ये सिर्फ भक्तो और जनता के नुमाईन्दों को खुश करने में लगे रहते है. तीन साल बाद मलाई खाकर निकल जाना है और जनता जाए भाड़ में .........
इससे तो बेहतर है कि फेसबुक पर समय बीताया जाए, यहाँ आप लोगों से दुनिया जहां की गपशप की जाए और हाथों में एक बीयर हो या जाम शान्ति तो ऐसे ही मिलेगी मितरों............मंदिर मस्जिद में शान्ति खोजना बेकार है.....
इस तरह के डिजास्टर पर कौन सा मेनेजमेंट और कौन काम करेगा ???
III
कमाल का देश है केंद्र में शिक्षा मंत्री के पास फर्जी डिग्री और दिल्ली राज्य में फर्जी कानूनी मंत्री यानी फर्जी डिग्री वाला क़ानून मंत्री..........
चेक कर लो कही स्वास्थ्य और बाकी मंत्री भी फर्जी तो नहीं वैसे भी देश की दिल्ली फर्जी लोगों से भरी पडी है.इसलिए तो कहते है दिल्ली दिल वालों को मिलती है, और हम सब मुहब्बत के मारे जानते है कि दिल कितना बड़ा फर्जी है ना सोचना ना समझना बस एक पानी के पम्प की तरह से खून के दो चार कतरें यहाँ वहाँ भेजता है..........
हे राम.........
IV
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