देवास के ओटले का जिक्र कई बार हुआ है और कई लोग इस पूरी प्रक्रिया को बहुत महत्वपूर्ण मानते है. कल जब Sunil Chaturvedi के घर पर हम लोग बैठकर Manish Vaidya
की कहानी सुन रहे थे तों मनीष ने और सुनील ने कहा कि ओटले पर उनकी रचना
प्रक्रिया मजबूत हुई है. लगातार पढाना, लिखना और बेबाकी से अपनी राय
व्यक्त करना किसी भी रचना के आगाज़ और मुकम्मल स्तर पर पहुँचाने के लिए बेहद
जरूरी है. राजस्थान से आये चरण सिंह पथिक ने अपनी कहानी "यात्रा' का वाचन
किया और कहा कि आज से दस- पन्द्रह साल पहले जयपुर में ऐसे दोस्तों का
जमावडा था जो इसी तरह से कहानी-कविता और दीगर विधाओं के लिखने- पढने वालों
का जमावडा होता था और इसी प्रक्रिया में सशक्त रचनाएँ उभर कर आती थी पर अब
यह मिलने-जुलने की परम्परा बंद सी हो गई है और अपने-अपने खेमों में बंद
रचनाकार भी अपनी लेखनी की धार को कुंद करते जा रहे है. अगर देवास में ओटला
ने यह परम्परा निभाई है और इसे जारी रख रहा है तों यह प्रशंसनीय है बस यही
है कि इसे लंबे समय तक आगे बढाते रहना होगा. मित्रों देवास के आँगन में
लिखने- पढने वालों का मिला-जुला प्रयास है ओटला (otladewas@gmail.com) इसमे देवास से Bahadur Patel, Sandip Naik, Manish Vaidya, Dinesh Patel, डा प्रकाश कान्त, जीवन सिंह ठाकुर, अनूप सक्सेना, श्रीकांत उपाध्याय, Mohan Verma, Om Varma, विक्रम सिंह, समीरा नईम, केदार, भगवान सिंह मालवीय, रितेश जोशी, ओम प्रभाकर, दीक्षा दुबे, मेहरबान सिंह, तों है ही साथ-साथ इंदौर से सोनल शर्मा, प्रभु जोशी, Brajesh Kanungo, Satya Patel
Sunil Chaturvedi, दिल्ली से जीतेंद्र श्रीवास्तव, कोलकाता से एकांत श्रीवास्तव, जबलपुर से राजेन्द्र दानी आदि साथी है जो समय -समय पर मिलकर गंभीर बातें करते है
और देशभर के चुनिन्दा साहित्यकारों को बुलाते है और अनूठे आयोजन करते है.
संक्षिप्त समय में देश भर में अपनी पहचान बना चुका देवास के ओटले पर सभी
आने को और अपने रचनाओं को सुनाने को बेताब है. शीघ्र ही ओटला देवास के बैनर
तले प्रकाशन का भी वृहद काम हाथों में लिया जा रहा है और एक किताब के साथ
इस महत्वाकांक्षी योजना का आगाज़ किया जा रहा है. निकट भविष्य में नियमित
पत्रिका और प्रकाशनों की एक लंबी श्रृंखला के साथ ओटला देश के साहित्यिक
मानचित्र पर अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज करेगा. आपके विचारों और सुझावों की
प्रतीक्षा है.........
देवास के ओटले का जिक्र कई बार हुआ है और कई लोग इस पूरी प्रक्रिया को बहुत महत्वपूर्ण मानते है. कल जब Sunil Chaturvedi के घर पर हम लोग बैठकर Manish Vaidya
की कहानी सुन रहे थे तों मनीष ने और सुनील ने कहा कि ओटले पर उनकी रचना
प्रक्रिया मजबूत हुई है. लगातार पढाना, लिखना और बेबाकी से अपनी राय
व्यक्त करना किसी भी रचना के आगाज़ और मुकम्मल स्तर पर पहुँचाने के लिए बेहद
जरूरी है. राजस्थान से आये चरण सिंह पथिक ने अपनी कहानी "यात्रा' का वाचन
किया और कहा कि आज से दस- पन्द्रह साल पहले जयपुर में ऐसे दोस्तों का
जमावडा था जो इसी तरह से कहानी-कविता और दीगर विधाओं के लिखने- पढने वालों
का जमावडा होता था और इसी प्रक्रिया में सशक्त रचनाएँ उभर कर आती थी पर अब
यह मिलने-जुलने की परम्परा बंद सी हो गई है और अपने-अपने खेमों में बंद
रचनाकार भी अपनी लेखनी की धार को कुंद करते जा रहे है. अगर देवास में ओटला
ने यह परम्परा निभाई है और इसे जारी रख रहा है तों यह प्रशंसनीय है बस यही
है कि इसे लंबे समय तक आगे बढाते रहना होगा. मित्रों देवास के आँगन में
लिखने- पढने वालों का मिला-जुला प्रयास है ओटला (otladewas@gmail.com) इसमे देवास से Bahadur Patel, Sandip Naik, Manish Vaidya, Dinesh Patel, डा प्रकाश कान्त, जीवन सिंह ठाकुर, अनूप सक्सेना, श्रीकांत उपाध्याय, Mohan Verma, Om Varma, विक्रम सिंह, समीरा नईम, केदार, भगवान सिंह मालवीय, रितेश जोशी, ओम प्रभाकर, दीक्षा दुबे, मेहरबान सिंह, तों है ही साथ-साथ इंदौर से सोनल शर्मा, प्रभु जोशी, Brajesh Kanungo, Satya Patel
Sunil Chaturvedi, दिल्ली से जीतेंद्र श्रीवास्तव, कोलकाता से एकांत श्रीवास्तव, जबलपुर से राजेन्द्र दानी आदि साथी है जो समय -समय पर मिलकर गंभीर बातें करते है
और देशभर के चुनिन्दा साहित्यकारों को बुलाते है और अनूठे आयोजन करते है.
संक्षिप्त समय में देश भर में अपनी पहचान बना चुका देवास के ओटले पर सभी
आने को और अपने रचनाओं को सुनाने को बेताब है. शीघ्र ही ओटला देवास के बैनर
तले प्रकाशन का भी वृहद काम हाथों में लिया जा रहा है और एक किताब के साथ
इस महत्वाकांक्षी योजना का आगाज़ किया जा रहा है. निकट भविष्य में नियमित
पत्रिका और प्रकाशनों की एक लंबी श्रृंखला के साथ ओटला देश के साहित्यिक
मानचित्र पर अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज करेगा. आपके विचारों और सुझावों की
प्रतीक्षा है.........
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