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अथ: सलमान खुर्शीद कथा और मीडिया के युवा तुर्क.........


वैसे धृतराष्ट्र तों कोई और है, हम सब रोज उन्हें देखते है और झेल रहे है, और ये सलमान तो बेचारे मुझे दुर्योधन से गुस्सैल और निहायत मूर्ख लगते है........
इस सारे खेल में अरविंद और अन्ना का क्या................Ashish Maharishi ने जो पांच सवाल आज पूछे है उंके जवाब कौन देगा................और राबर्ट वाड्रा को तों ये सलमान ले डूबे कही यह तों नहीं कि सोनिया जी जान देने की बात करने वाले सलमान यहाँ इस कुए में डूब रहे है ताकि बची रहे इज्जत घर की और दामाद रहे सुरक्षित.........फ़िर बन् जायेंगे कही राज्यपाल और लुईस बन् जायेगी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ...............????
आज मीडिया के युवा तुर्कों को देखा. जहां तक इनमे दम की बात है वो तों बहुत है पर जो धैर्य और समझ होना चाहिए वो कही कम दिखती है, सजी संवरी मीडिया की दुनिया और बार- बार अपने बालों को सहलाती युवतियां, सजे सवरे युवा, ब्रांडेड कपडे, होठों पर अंगरेजी का नशा और हाथों में कागजों का पुलिंदा हिलाते जोश और गुस्से से भरे पत्रकार वाह क्या भविष्य है इस देश के मीडिया का, मुझे प्रोढ या परिपक्व पत्रकार इस पूरी बातचीत में कही नजर नहीं आये जाहिर है एक नाकारा और भ्रष्ट मंत्री का उत्तेजित होना स्वाभाविक था. कही ऐसा तों नहीं इन युवा तुर्कों के पीछे शातिर और संगठित बड़े घरानों का हाथ है जो इन्हें मोहरा या कठपुतली बनाकर आगे कर रहा है खुद पीछे यवनिका में बैठकर मजे ले रहा है.............
 
सलमान की प्रेस वार्ता के बाद जिस तरह से मीडिया अपने अपने फोरम पर जिस तरह से आज तक को परोस रहा है और समालोचना कर रहा है वह निंदनीय है. ऐसे समय में जब देश के एक क़ानून मंत्री पर इतने गंभीर आरोप है और सलमान लगभग पागलों की तरह से रेस्टलेस होकर बार बार खड़े हो रहे थे बैठ रहे थे और दहाड़ रहे थे बिलकुल गुस्साए स्वर में पत्रकारों पर गरज रहे थे और एक बेचारे बुजुर्ग रंगी मिस्त्री को सबके सामने पेश किया और तालियाँ बजवाई वह बेहद शर्मनाक है, इस समय सारी मीडिया को एक स्वर में होकर ऐसे कुत्सित प्रयाओं का विरोध करना चाहिए ना कि आपस में छीछालेदारी............
आज की प्रेस वार्ता हिन्दुस्तान के इतिहास में सबसे घृणास्पद प्रेस वार्ता के रूप में दर्ज की जाना चाहिए/ या की जायेगी..........जहां देश का एक क़ानून मंत्री अपनी पत्नी और गुंडों के साथ कमजोर और बेबस लोगों को अपने गुंडों के बीच अपनी मर्जी की बात कहलवाता है और उस गरीब गुर्गे की क्या बिसात कि वो विरोध में कुछ भी बोल सके...........

जो कुछ भी हो रहा है उसके बाद अब सिर्फ यही लगता है कि सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री को सलमान खुर्शीद से इस्तीफा ले लेना चाहिए, सरकार की वैसे ही इज्जत नहीं बची है क्यों बची - खुची खत्म कर रहे है ये लोग, और सबसे बड़ी बात आने वाली पीढ़ी के सामने क्या आदर्श पेश कर रहे है........

तीसरा तत्काल प्रभाव से देश भर के ऐसे एनजीओ और ट्रस्ट जो FCRA 1973 Act , 80- CC 12-A, 35-AC के अंतर्गत है, के खाते सील करके कुछ समय के लिए इनके सभी कामकाजों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए क्योकि सत्य साईबाबा ट्रस्ट से लेकर माँ आनंदमयी, वर्ल्ड विजन, सभी अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र संघ समर्थित और भी दीगर संस्थाएं इस परोपकार के और पुण्य कमाने के चक्कर में सामाजिक कार्यों के बहाने से कमाने- धमाने के नेक कामों में गले- गले तक डूबी हुई है.


 

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