जानता हूँ कि ये क्षणिक है तनाव, संताप और अवसाद - पर कैसे दिन बीत रहे है यह तुम जान समझ नहीं सकते और लग रहा है कि इन्ही सबके बीच से गुजर तो जाउंगा पर जब तक सब कुछ पा लेने की स्थिति में आउंगा, क्या वो पा सकूंगा मै ...........तुम कहते थे ना कि सबको सब नहीं मिलता और किसी-किसी को तो ज्यादा इंतज़ार करना पडता ,है पर कहाँ सीमा खत्म होती है, कितना समय लगेगा अब और, इस खोने-पाने की और गर्मजोशी से भरे समय में हम कह तो जाते है, जो दिलासा सा प्रतीत होता है पर जो उथल-पुथल मन में मची रहती है उसे कैसे बताऊँ. यह समय, जो मै बार-बार इंगित कर रहा हूँ कि बिदाई की बेला का है, समय हो रहा है और फ़िर से एक बार इतना लंबा इंतज़ार करने की आदत नहीं रही है. यह बेचैनी है या इंतज़ार, पर जो है वो है !!! बस यही कह सकता हूँ...........तुमने किसी पेड़ पर नन्ही पत्तियों को बरसात की बूंदों का इंतज़ार करते देखा है, या कही गहरी अंधेरी रात में जुगनू की चमक को यहाँ-वहाँ भटकते हुए देखा है, या किसी उजाड किले पर चमगादड़ों के झुण्ड को एकदम से उड़ते हुए देखा है, या किसी गहरे कुएं में सिसकते हुए मेंढकों को बाहर ना निकल पाने की त्रासदी ...
The World I See Everyday & What I Think About It...