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Posts of 9 Dec 15




कमाल है भगवा का रास्ता वामपंथ के लाल से होकर जाता है छग के एक तथाकथित निजी विवि की विज्ञापननुमा न्यूज देखी तो घालमेल समझ आया. क्या क्या नहीं करते लोग .........एक वो थे जो मर गए पर लाल नहीं छोड़ा और एक ये है जो लाल से शुरू किया और अब भगवा में ही दफ़न होंगे. सलाम कामरेड उर्फ़ कार्यकर्ता .
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मप्र के स्वास्थ्य मंत्री कह रहे है कि वे इस्तीफा क्यों दें , भोपाल त्रासदी के बाद अर्जुन सिंह ने दिया था क्या? यानी कितने ढीट और बेशर्म है मिश्रा जी , अरे कमीशनखोर इसलिए तो काँग्रेस डूबी, आप क्यों भाजपा की लुटिया डुबोने पर तुले हो, या हजार लोगों के मरने की राह तक रहे हो।
शिवराज जी तो पन्ना हो, व्यापमं हो या पेटलावद हो इस्तीफा नही देंगे क्योकि वे किसान पुत्र है और जमीर जमीन में गाड़ दिया है , मिश्राजी आप तो डाक्टर हो पढ़े लिखे, नैतिकता समझते हो !! ये अलग बात है कि व्यापमं से निकले हो तो फिर चिपके रहो कुर्सी से और करो घोटाले , जनता बताएगी तीन साल बाद - फिर तुलना करना अर्जुन सिंह की और अपनी। वैसे बता दूं कि अर्जुन सिंह जैसी काईयाँ बुद्धि पाने के लिए सात जन्म और लेने होंगे अभी


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पाक पत्रकार ने सुषमा जैसी विदुषी राजनीतिज्ञ के बारे में जो कहा है उसकी निंदा की जाना चाहिए। इस तरह से किसी देश की मंत्री पर अभद्र टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात मीडिया में मूर्ख और अश्लील दिमाग वाले हमारे यहां ही नही, बल्कि पूरी दुनिया में है। खुदा ख़ैर करें !!!
"विश्वास ना हो तो भास्कर के वेब पेज उठाकर देख लें - कितने धार्मिक विज्ञापन और सरोकार वाली खबरें है" !!!


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मप्र के बडवानी में 40 से ज्यादा लोग अंधे हो गए, सब शिवराज जी और स्वास्थ्य मंत्री के कमीशनबाजी का कमाल है, जितनी लापरवाही करेंगे, कमीशनबाजी करेंगे उतनी ही मौतें होंगी प्रदेश में . पेटलावद में, पन्ना में, व्यापमं में और अब बडवानी में और ऊपर से कम्पनी को बारह करोड़ का भुगतान किया और जिनकी आँखें गयी उन्हें मात्र दो दो लाख वो भी मेरी आपके इनकम टैक्स का रुपया. शर्म नहीं आती इन्हें अभी तक पद पर बने हुए है और पूरी बेशर्मी से जमे हुए है.
भाजपा नेतृत्व ना जाने क्यों इनसे डरता है जो इन्हें ना हटाकर इन्हें प्रदेश में छोड़ रखा है, और संघ इसलिए कुछ नहीं कहता क्योकि कई संघियों की निकम्मी औलादें मेडिकल की पढाई पढ़ रही है जिनके खानदान में कोई डाक्टर नहीं बना वो मेडिकल में पीजी कर रहे है तो क्यों बोले भला? अब समय आ गया है कि मप्र से कमीशनखोर शिवराज सरकार की विदाई हो और नए लोग आये जो इनसे बेहतर करें और भ्रष्टाचार तो कम से कम नहीं करें. मैजिक वालों से लेकर बस के परमिट, दवाई, स्टेशनरी की खरीद, नियुक्तियां, जमीन सौदे, इन्वेस्टर्स की परियोजनाएं, खनिज और तमाम तरह के धंधों में इनकी कमीशनखोर सरकार से जनता त्रस्त हो गयी है और जान मुसीबत में है, सो अलग...


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मित्र Tushar Dhawal Singh को कविता को लेकर कन्फेस करना पडा और उन्होंने बहुत खुले दिल से स्वीकारोक्ति की है, वह सराहनीय है, अब सवाल यह है कि पापड बड़ी उद्योग की तरह से (बकौल चंद्रकांत देवताले) रोज हजार कविताएँ पेलने वाले कवियों को कुछ बुद्धि आयेगी या लिखते रहेंगे और फेसबुक से लेकर वाट्स अप पर छपास निकालते रहेंगे..........?
सुना कि बहुत तो दंड बैठक कर रहे है कि
अबकी बार पुस्तक मेले में, 
एक नई किताब फिर से सरकार 
tongue emoticon

भले ही जेब से पच्चीस - तीस हजार लग जाए, प्रकाशक धूर्तता से ऐन्ठ लें, पर मंदिर वही बनायेंगे........और किताब छपवाये बिना मानेंगे नहीं, भले ही आप प्रदूषण का रोना रोते रहो, पेड़ कटते रहे 

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