Skip to main content

Posts of 15 Dec 15



सन 2024 में चलने वाली बुलेट ट्रेन को देखने, बैठने, भुगतने को हममे से कितने लोग ज़िंदा रहेंगे और यदि हाँ तो बोलो कितने लोग इतना रुपया कमा लेंगे कि उस समय के किराए में बैठ पाए ध्यान रहे आज किराया 2800 कहा गया है, सुरेश प्रभु ज़िंदा रहे तो यह 2800 X 10 हो जाएगा और रूपये के अवमूल्यन को देखते हुए हमारी कमाई दस गुना आज की तुलना में कम हो जायेगी फिर बैठना बुलेट ट्रेन में और यदि ज़िंदा नहीं रहोगे तो काहे का जश्न मना रहे हो कमबख्तों, कबीर कहते थे "इस घट अंतर बाग़ बगीचे इसी में पालनहार.." समझे कुछ ??? 


और आख़िरी बात ये शिंजो आंद्रे भी रहेगा ज़िंदा क्रियान्वयन को हरी झंडी  देने को या उसकी अस्थियाँ गंगा में आ जायेगी.........लाहौल बिला कूब्बत.......शुभ शुभ बोलो............पंडिज्जी .....
tongue emoticon
*****
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या राजस्थान की वसुंधरा सिंधिया या नक्सली आन्दोलन के बहाने आदिवासियों की जमीन हथियाकर आदिवासियों को निहत्था मारने वाले रमण सिंह छतीसगढ़ी मुख्यमंत्री परन्तु देश की सी बी आई को ना इनकी जानकारी है ना कोई कार्यवाही करेगी क्योकि जिस देश में सत्ताएं सिर्फ और सिर्फ अपना व्यक्तिगत फ़ायदा देखती है उस देश में कोई कुछ नहीं कर सकता. आज सुबह दिल्ली के मुख्यमंत्री के कार्यालय और मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार के दफ्तर पर जो छापा मारा है वह बहुत गंभीर कृत्य है. दरअसल में यह विधायिका की गरिमा के खिलाफ और किसी भी मुख्य मंत्री के विशेषाधिकार का मामला है. दिल्ली से रेलवे द्वारा बगैर सूचना के 1200 झुग्गियों को हटाने के मामले पर जिस तरह से अरविन्द ने रात डेढ़ बजे जाकर केंद्र सरकार की इज्जत उतारी और कल सारा दिन जो पीड़ित पक्ष के लोगों के लिए काम किया उससे भाजपा के शीर्ष लोग और केंद्र में बैठे लोग भयभीत है. देश में बुलेट ट्रेन के खिलाफ बन रहे माहौल, और दिल्ली की बस्तियों में भरी ठण्ड में एक बच्ची की बलि पर हजारों लोगों को विस्थापित करने से मोदी की इमेज खराब हुई है और इससे तिलमिलाकर यह आक्रामक रुख सामने आना ही था इसमे आश्चर्य की कोई बात ही नहीं है. 

दिक्कत यह नहीं है कि यह छापा पडा बल्कि दिक्कत यह है कि मोदी जिस तरह से आने वाले लोकतांत्रिक इतिहास के लिए बदले की भावना में गतल तरीकों से सत्ता के दुरुपयोग के उदाहरण सामने रख रहे है उससे आने वाले शासकों को इससे ज्यादा क्रूर होना अच्छा लगेगा और फिर भारतीय संविधान में लिखित लोकतंत्र की मूल अवधारणायें, मूल्य और लगों के जन तांत्रिक अधिकारों पर सत्ता निरंकुश रूप से पहरा लगाएगी जो ज्यादा मुश्किल होगा. 

लगभग दो साल होने जा रहे है मोदी सरकार को और मात्र 31 प्रतिशत लोगों की मर्जी से बनी इस सरकार ने देश की जनता के साथ लगातार झूठ कपट और बेईमानी से सत्ता को बनाए रखा है, पूरी दुनिया में विकास का डंका पीटते हुए इन्होने लोगों की मूल भुत सुविधाओं पर डाका डाला - मसलन रेल किराए में वृद्धि, शिक्षा स्वास्थ्य के खर्चों में कटौत्री, शिक्षा में फासिज्म, अपराधियों को अपने मंत्री मंडल में प्रश्रय देना, विदेशों में छबी खराब करना, स्वच्छता मिशन  के नाम पर लोगों की आँखों में धूल झोंकना, रेल जैसी सार्वजनिक सुविधा जो आमजन के लिए है - में मूल व्यवस्थाओं में बदलाव के बजाय भारी कर्ज लेकर बुलेट ट्रेन की संल्पना का झुनझुना सामने रखना, गंगा में सफाई अभियान के बजाय सिर्फ गंगा आरती करके देश को बेवकूफ़  बनाना, पाकिस्तान के साथ हर मोर्चे पर असफल, नेपाल के अंदरुनी मामलों में दखल करके वहाँ की शान्ति व्यस्था भंग करना और अब उन्हें दैनंदिन सुविधाओं से वंचित करना, अपनी ही पार्टी और मंत्रीमंडल का विश्वास खो चुके मोदी और अमित शाह पर से लोगों की श्रद्धा और विश्वास उठ चुका है. 

आज रही सही कसर केजरीवाल के दफ्तर पर छापा मारकर अपनी हताशा और कुंठा के गर्द में रह रहे मोदी ने अपनी सार्वजनिक हार मान ली है क्योकि शिवराज जैसे भ्रष्ट और जुगाडू मुख्यमंत्री को शह देकर, निहाल चन्द्र को अभी तक मंत्रीमंडल में रखकर, वसुंधरा को राजस्थान में क्लीन चिट देकर मोदी ने साबित किया कि वे एक कमजोर और भ्रष्ट व्यस्था के हिमायती है इसलिए बिहार में जनता ने उनकी ताकत को नजरअंदाज करके बुरी तरह से सड़क पर ला दिया, गुजरात के गाँवों से भाजपा का सफाया हो ही चुका है और अब इस सारे  डिप्रेशन में वे बिलकुल उजबकों की तरह से हरकतें कर रहे है जबकि उन्हें रूपये के अवमूल्यन पर देखना चाहिए, या राज्यों में सूखे पर ध्यान देना चाहिए. 

मै यह नहीं कहता कि केजरीवाल शत प्रतिशत सही है पर दिल्ली पूरे देश के लोगों का प्रतिनिधित्व  करता है और लोग आज भी केजरीवाल के काम पर निगाह रख रहे है, सराह रहे है और उन्हें मदद कर रहे है पर मोदी को लेकर हर जगह विरोध है सिवाय चंद मुठ्ठीभर लोग जो संघ या हिन्दू मानसिकता से ग्रसित है उन्हें अंध समर्थन देते है. आज की घटना बहुत गंभीर और अक्षम्य है और इस तरह से इस सरकार ने जो कदम उठाया है उसके लिए आने वाली पीढियां इन्हें कभी माफ़ नहीं करेंगी.



Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...