कितने साल समाज को छलते रहोगे अपने फायदे के लिए । जाति बताओ नया नारा आने वाला है अब कुमार और सिर्फ उपनाम से या किसी फेंकू नाम से काम नही चलेगा
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यदि केंद्र सरकार में दम हो तो सब्सीडी के साथ साथ आरक्षण हटाये नहीं तो सुधारों की और विकास की बात करना बंद करें. बहुत हो गई बयानबाजी और मूर्खताएं.
दस लाख से ज्यादा वालों को आरक्षण की जरुरत है नही है शिक्षा, नौकरी और प्रमोशन में और अब जिन लोगों ने ले लिया है उसका लेखा जोखा तो हर विभाग से लेकर हर जगह मौजूद है बस करें उनका खाता खत्म करो और बंद करो.
और अगर यह करने का दम नहीं है तो फ़ालतू बातें करना बंद करो और बुद्धिजीविता मत झाड़ों. क्योकि आरक्षण की मलाई तो वो चाट रहे है जो सवर्ण बन गए है और अपने सरनेम भी शर्मा, भार्गव, कुमार या कविराज स्टाईल में कोई घटिया सा उपनाम लगा कर अपनी जाति छुपा रहे है, तमाम प्रशासन और बड़े पदों पर बैठे बेशर्म लोग अपनी जाति परदे के पीछे छुपाकर फ़ायदा ले रहे है और सिर्फ नौकरी या शिक्षा में प्रवेश नहीं वरन आय ए एस जैसे काडर में भी प्रमोशन ले लेते है या विदेश चले जाते है फेलोशिप लेकर या उच्च शिक्षा प्राप्त करने या आय आय एम् में सरकारी कोटे से और जनता की कमाई से कोर्स करने चले जाते है. यह भी नैतिक भ्रष्टाचार है.
अगर देना ही है तो मंडला, डिंडोरी, झाबुआ, आलीराजपुर, बालाघाट जैसे भयंकर पिछड़े क्षेत्र के आदिवासियों को दो जिन्होंने कभी स्कूल नहीं देखा और सदियों से पीसते चले आ रहे है.
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