Skip to main content

Kolhapur Sangli Trip 27 Nov to 2 Dec 15 Vatsala Patil



Kolhapur Sangli Trip 27 Nov to 2 Dec 15 Vatsala Patil with Surekha ( Neerja Batley) 





Thanks Manik and Vatsala Patil for every thing you did. Such a wonderful and nicely managed program, none of the guest felt bad or hurt, all attended whole heartedly and enjoyed very well. Stay blessed all of you. Your family includes Nitisha, Yuvee and you both are so nice humble and decent. I never thought our naughty friend will be so responsible and cute. Really wonderful time we spent and cherished.
Good bye Kolhapur Sangli
stay blessed Deep and Sanjana Patil.




सांगली का विश्व प्रसिद्द गणेश मन्दिर जो बनावट में भव्य है। इसे तत्कालीन सातारा रियासत के महाराज विजयसिंह राजे पटवर्धन ने 145 साल पहले बनाया था। आज भी यह पटवर्धन परिवार की निजी सम्पत्ति है और जहाँ जहाँ भी पटवर्धनों ने राज किया वहाँ गणेश मन्दिर बनवाये, पर सांगली का मन्दिर सबसे विशाल और जागृत माना जाता है। यह संयोग ही था कि संकष्टी चतुर्थी पर मैं यहां था और इसके विशाल स्वरूप को देखा और लोगों में, जनमानस में श्रद्धा को देखा।
पिछले माह हम लोगों ने मुम्बई में सिद्धी विनायक के मन्दिर का परिवार सहित दर्शन किया था, पर वहाँ जो व्यवसायीकरण और उन्मादी भीड़ देखी थी वो यहां नही थी वैसे ही महालक्ष्मी मन्दिर कोल्हापुर और मुंबई में भी फर्क दिखता है।
गजब की दुनिया है श्रद्धा और विश्वास की।





आप लोग कहेंगे हद है आत्ममुग्धता की, पर ये जो मेरे साथ है प्रोफ़ेसर साहिबा Neerja Batle मुझे डाँट डपटकर फोटो डलवा रही है । साथ है हमारी खूबसूरत दोस्त और मेजबान वत्सला पाटिल।



सौरभ बरोबर कोल्हापुरी फेटा आणि आम्ही दोनं
आणि लग्न लावायला तैयार झालो सांगली ला। कोल्हापुरी फेटा। बरोबर आहे सौरभ जाचक जो न्यूयार्क ला मेडिकल एनालिस्ट आहेत।





कोई पहचान सकता है इसमें कौन कौन है मेरे अलावा। देवास के बहुत पुराने मित्र शायद बता पाएं जैसे Deepak Shirahatti Kalapini Komkali Shailendra Jain Pravin Nagpurkar ..... guys try. The pics are taken in Sangli yesterday evening. In fact I met her and him after almost 27 years.
Finally seeing the historical temple
Shailja Kshirsagar and Purushottam Kshirsagar, who are now settled in Pune. 

कहते है तिरुपति बालाजी के दर्शन करके आने के बाद यहां आना अनिवार्य है वरना पूण्य नही मिलता और यात्रा अधूरी रह जाती है।
बहुत भीड़ पर शोर नही , भव्य और प्राचीन मन्दिर गजब का चैतन्य स्थान।
खूब सारी कोल्हापुरी ज्वेलरी खरीदी भाभियों के लिए और लाड़ली बहू Snehal Tripathi के लिए। भाई और भतीजों के लिए चप्पलें ली है।
कोल्हापुर पुराना पर अच्छा शहर है। ड्राईवर दिलीप बता रहा था कि इस क्षेत्र का सरकार ध्यान नही देती और पूछने पर अच्छी बात बोली कि मोदी जी को अभी टाइम देना चाहिए , वो दस साल के बाद वाले भारत के लिए काम कर रहे है।
जय हो
the beautiful morning with batchmates of MA English (1989) KP College, Dewas. Reunion after 26 years in Sangli.
Neerja Batle and Vatsala Patil.




Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही