उड़ीसा में फादर ग्राहम स्टेन्स को जलाकर मारा था, उसकी पत्नी और बच्चों ने बाद में एक हिंदूवादी संगठन के लोगों को माफ़ कर दिया था। राजीव गांधी के हत्यारों को उनके परिजनों ने माफ़ कर दिया था। नवापाड़ा, झाबुआ में दो नन्स ने अठारह लोगों को बलात्कार करने के बाद माफ़ कर दिया था। गांधी, विवेकानन्द और विनोबा भावे, अम्बेडकर और गोलवलकर, हेडगेवार दीनदयाल उपाध्याय से लेकर विश्व स्तर के चिंतको ने माफी को सबसे बड़ा हथियार, और सबसे बड़ा हिम्मत का श्रेष्ठ कार्य बतलाया है। हमारे ही देश में ऐसे सैंकड़ों किस्से है।
Dorothy Beck सिस्टर जो बरसों से आष्टा के क्षेत्र में गरीब, वंचित और दलितों के साथ काम कर रही है। उनकी एक बात हमेशा याद रहती है, वे कहती है कि हम लोग सूर्यास्त के पहले सारे झगड़े भूला देते है और सबको माफ़ कर देते है। रात का खाना सब लोग मिलकर खाते है।
धर्म और मानवता में माफी सबसे बड़ा गुण है और यह हमे हमेशा याद रखना चाहिए। महावीर, बुद्ध, श्रीराम, कृष्ण से लेकर जीसस, नानक, मोहम्मद साहब तमाम महान लोगों की शिक्षाएं हमारे आसपास बिखरी पड़ी है।
सवाल यह है कि हम हिंसक समाज बनाना चाहते है या आने वाली पीढ़ियों को एक भला, शांत और हिंसा मुक्त समाज सौंपना चाहते है। अगर यह समाज बनाने के लिए आपको नरबलि, फांसी और बदला जैसी कार्यवाही करना है तो माफ़ कीजिये मुझे आपके समाज में नही रहना है। शांत रहिये, सबको, हमको, आपको और उसको भी सुधरने का एक मौका देना होगा।
शांत हो जाइए, ज्योति सिंह के माँ बाप हमारे अपने लोग है , उन्हें भड़काईए नही - समझाइये और उनकी मदद कीजिये। वादा कीजिये कि ज्योति के साथ जो हुआ वो अब नही होगा किसी बहु बेटी के साथ, कोई बच्ची हम सबके बीच जलील नही होगी, हम समतामूलक समाज और बराबरी वाले समाज की बात को क्रियान्वित करेंगे, अपने घर से शुरू कीजिये। दो माह में देश बदल जाएगा, अपने किशोर होते बच्चों को सही शिक्षा दीजिये, कल ऐसा ना हो कि मुझे आपके होनहार, कुलदीपक और चिराग के लिए ऐसी अपील लिखना पड़े।
#संसद में नाबालिग /किशोर अवस्था घटाकर 16 वर्ष की गयी. दुर्भाग्य है.
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बाबा भारती ने डाकू खड़क सिंह से सुलतान घोड़े का जिक्र करते हुए कहा था इस बात का जिक्र किसी से मत करना वरना कल तुम्हारी बात का और गरीबों पर कोई भरोसा नहीं करेगा..........
अचानक याद आ गयी यह बात, हर दौर में बाबा भारती और डाकू खड़क सिंह, घोड़ा सुलतान रहते है और फेसबुक पर भी है.........
और यह पोस्ट भी इसलिए लिखी है कि प्रेमचंद ने पंच परमेश्वर में लिखा था " बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात भी ना कहें"
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