1)अफसर था, इसलिए बहुत बड़ा आदमी था , उसके पिता गाते थे, उसका भाई गाता था इसलिए जाहिर है अफसर भी गायेगा और जब वो गाता था तो पत्नी भी गायेगी अक्सर महफिलों में वे दोनों युगल गीत गाकर वाहवाही लूट लेते थे . सारा दफ्तर संगीतमयी हो जाता था और सारे मातहत संगीत सुनते थे. वो कई जगहों पर अक्सर गाता था और फ़िर सबको अपने गीत - संगीत के ज्ञान और परम्परा के बारे में बतियाता था. उसका ज्ञान अदभुत था भारतीय शास्त्रीय संगीत में वो सिद्धहस्त था और अक्सर जोश में हार्मोनियम पर उसकी अंगुलियां साथ छोड़ देती, गले से राग छूट जाते और शब्द दिमाग से निकल जाते, पर वो पूरा गाना गाता था ऐसे अवसरों पर जीवन की संगिनी साथ देती और फ़िर दोनों गाते और वो मुस्कुराकर देखता कि किसने ताली बजाई ???
2) अफसर था, काव्य प्रतिभा उसमे कूट-कूट कर भरी थी, बुंदेलखंड में सब साहित्यिक होते है ऐसा वो अक्सर कहता था. चूँकि बड़ा अफसर था इसलिए बहुत कविता लिखता था और ज्यादा छपती थी इसलिये ज्यादा पत्रिकाएं निकलती थी, और विज्ञापन का ज्यादा धंधा था. अफसर था इसलिए तालाबों के किनारे वो बड़े आलीशान भवन बनवाता और दुनियाभर के बड़े कवियों को बुलाकर कविता पाठ करवाता और अपने अनुवादों से इन अकवियों को महान बना देता, अफसर था इसलिए उसने हिन्दी के नाम पर एक बड़ा अड्डा भी बनाया था जहां प्रशासन के चुके हुए भ्रष्ट और बड़े- बूढ़े अकसर जाते और टिक जाते और नकली काम करते और इसे विश्व विद्यालय कहा जाता था.
3) अफसर था, समाजसेवा का शौकीन था उसके पास सरकार में लंबे और बड़े प्रोजेक्ट स्वीकार करने का जज्बा और औकात थी, इसलिए वो अक्सर समाज सेवी संस्थाओं से दोस्ती रखता और छुट्टियों में चला जाता था उनके अड्डों पर. साथ में बीबी बच्चे भी होते है मातहत भी जो अपने बीबी और बच्चों को लेकर आते है, ताकि अफसर के पुरे परिवार को इंटरटेन कर सके और अफसर तसल्ली से मातहतों, बच्चों और बीबी के साथ क्रिकेट खेलता है , गुल्ली डंडा देखकर नास्टेलजिक हो जाता था. बच्चे माँ से पूछते "मम्मा, डैड ने ये नाईट ड्रेस सारा दिन क्यों पहन रखा है, ये गाँव के गंदे लोग कौन है, और डैड क्यों जमीन पर बैठ गये है. मम्मा यहाँ ब्रेड बटर क्यों नहीं है, पाईनापाल जेम भी नहीं है?" अफसर अगली सुबह या शाम को संस्था के मालिक को कहता कि आपका काम अच्छा है, इस तरह के काम की जरुरत है सरकार में भी , हमारे अधिकारियों को प्रशिक्षण की जरुरत है उन्हें यहाँ बुलाईये और ट्रेनिंग दीजिए, सब ठीक हो जायेंगे, आप आईये मंत्रालय और एक प्रोजेक्ट लेकर आईये...........अरे सुनो गाड़ी में थोड़े ताजे थाई पपीते रखवा दीजिए और वो कम्पोस्ट खाद से पके हुए चावल भी और हाँ थोड़ा गन्ना भी.......कभी सी एम को बुलावा लें फ़िर देखते है कुछ लंबा काम, या कुछ पानी वगैरह पर भी काम करो, भाई आपका बेस स्ट्रोंग है बहुत........
प्रश्न - इन अफसरों को क्या कहते है जो मत्रालय में होते है वही से कलेक्टरों को ठीक करते है फोन पर. ???
उत्तर - जी, इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अफसर कहते है जो सचिव स्तर के हो जाते है फोन पर. !!!
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2) अफसर था, काव्य प्रतिभा उसमे कूट-कूट कर भरी थी, बुंदेलखंड में सब साहित्यिक होते है ऐसा वो अक्सर कहता था. चूँकि बड़ा अफसर था इसलिए बहुत कविता लिखता था और ज्यादा छपती थी इसलिये ज्यादा पत्रिकाएं निकलती थी, और विज्ञापन का ज्यादा धंधा था. अफसर था इसलिए तालाबों के किनारे वो बड़े आलीशान भवन बनवाता और दुनियाभर के बड़े कवियों को बुलाकर कविता पाठ करवाता और अपने अनुवादों से इन अकवियों को महान बना देता, अफसर था इसलिए उसने हिन्दी के नाम पर एक बड़ा अड्डा भी बनाया था जहां प्रशासन के चुके हुए भ्रष्ट और बड़े- बूढ़े अकसर जाते और टिक जाते और नकली काम करते और इसे विश्व विद्यालय कहा जाता था.
3) अफसर था, समाजसेवा का शौकीन था उसके पास सरकार में लंबे और बड़े प्रोजेक्ट स्वीकार करने का जज्बा और औकात थी, इसलिए वो अक्सर समाज सेवी संस्थाओं से दोस्ती रखता और छुट्टियों में चला जाता था उनके अड्डों पर. साथ में बीबी बच्चे भी होते है मातहत भी जो अपने बीबी और बच्चों को लेकर आते है, ताकि अफसर के पुरे परिवार को इंटरटेन कर सके और अफसर तसल्ली से मातहतों, बच्चों और बीबी के साथ क्रिकेट खेलता है , गुल्ली डंडा देखकर नास्टेलजिक हो जाता था. बच्चे माँ से पूछते "मम्मा, डैड ने ये नाईट ड्रेस सारा दिन क्यों पहन रखा है, ये गाँव के गंदे लोग कौन है, और डैड क्यों जमीन पर बैठ गये है. मम्मा यहाँ ब्रेड बटर क्यों नहीं है, पाईनापाल जेम भी नहीं है?" अफसर अगली सुबह या शाम को संस्था के मालिक को कहता कि आपका काम अच्छा है, इस तरह के काम की जरुरत है सरकार में भी , हमारे अधिकारियों को प्रशिक्षण की जरुरत है उन्हें यहाँ बुलाईये और ट्रेनिंग दीजिए, सब ठीक हो जायेंगे, आप आईये मंत्रालय और एक प्रोजेक्ट लेकर आईये...........अरे सुनो गाड़ी में थोड़े ताजे थाई पपीते रखवा दीजिए और वो कम्पोस्ट खाद से पके हुए चावल भी और हाँ थोड़ा गन्ना भी.......कभी सी एम को बुलावा लें फ़िर देखते है कुछ लंबा काम, या कुछ पानी वगैरह पर भी काम करो, भाई आपका बेस स्ट्रोंग है बहुत........
प्रश्न - इन अफसरों को क्या कहते है जो मत्रालय में होते है वही से कलेक्टरों को ठीक करते है फोन पर. ???
उत्तर - जी, इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अफसर कहते है जो सचिव स्तर के हो जाते है फोन पर. !!!
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- Shabbir Husain Qureshi Sandeepaji, You have good skilled as script writer...Your talent must be use somewhere else...!
- Banshilal Parmar स्व . शरद जोशी का व्यंग लेख हे " वर्जिनिया वुल्फ से सब डरते हे" साहब इंग्लिश फिल्म देखने जाते .....
- Jameel Ahmed Mansoori Huuunh . . .safed haathi . . Pradesh pr bojh . . . Unt pr se bakri charane wale . . .
- Sudesh Srivastava गाने वाले एक अफ़सर से तो अभी कुछ ही माह पहले सामना हुआ था। इतने बडे गवैये थे कि हर मंच पर गाने का अवसर निकाल ही लेते थे और गीतकार तो थे ही। सो अपनी किताब छपवा कर दूकानों में रखवाते थे और उसका इश्तेहार पोस्टर प्र कुछ यूँ होता था, "प्रसिद्ध साहित्यकार डा. फ़लाने (आई. ए. एस.) की महान पुस्तक यहाँ उचित मूल्य पर उपलब्ध है"
अभी बच्चों के एक बडे स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर पहुँचते ही उन्होने बच्चों की हौसला आफ़्ज़ाई के लिये दनादन दो तीन गीत ठोंक दिये। यही नहीं, विख्यात सूफ़ी गायक के कार्यक्रम के उद्घाटन करते करते उन्होंने गायक महोदय को भी अपनी अद्भुत गायन क्षमता से चमत्कृत कर दिया। आखिर मातहतों ने भी बहुत प्रयास कर के 'एक शाम - सर के नाम' आयोजित करवा ही दिया। और उसकी रिकार्डिंग यू ट्यूब पर अपलोड कर के सर को एफ़ बी पर लिंक शेयर भेजा। बस सर और मैडम कई दिन तक पार्टी करते रहे!!!
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