वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है,
ये अगर रस्मो रिवाजों से बगावत है तो है;
सच को मैंने सच कहा जब कह दिया तो कह दिया,
अब ज़माने की नज़र में ये हिमाकत है तो है;
कब कहा मैंने की वो मिल जाये मुझको,
उसकी बाहों में दम निकले इतनी हसरत है तो है;
वो साथ है तो जिन्दा हूँ,
मेरी सांसो को उसकी जरूरत है तो है;
दूर थे, दूर रहेंगे हर दम ये ज़मीन आसमान,
दूरियों के बाद भी दिल में कुरबत है तो है;
मैंने कब कहा वो मिल ही जाए मुझे,
पर गैर न हो जाये इतनी सी हसरत है तो है;.!!
II
आ तू दौड़ के लिपट जा सीने से हमारे
फिर इशारा इस तरफ से होगा ये उम्मीद न रख..
कि एक बार मोहब्बत की भीख मांगी थी तुझसे
बार बार मेरा सर झुकेगे ये उम्मीद न रख..
अच्छा न किया तुने इस दिल को ठुकरा कर
तुझे कोई न ठुकराएगा ये उम्मीद न रख..
बहुत ही तड़पाया गम ने तेरे हमको,
हम यूँ घुट घुट के मर जायेंगे ये उम्मीद न रख...!!
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