राजघाट पर बुश का कुत्ता छी छी छी
किसके हाथ तुरुप का पत्ता छी छी छी
राजघाट पर बुश का कुत्ता छी छी छी
गांधी जी की रूह रो रही सूने में
अपने तन का खून धो रही सूने में
मनमोहन ने टेका माथा छी छी छी
तुम ही माई बाप, सभी ने गाया है
नरमुंडों की माला पहने आया है
उसकी कुर्सी, उसका हत्था छी छी छी
इसको उसको सूंघ रहा सन्नाटे में
सरकारी पूंजी है सैर सपाटे में
कड़ुआ हुआ शहद का छत्ता छी छी छी
ऐश महल में, अर्थ व्यवस्था घाटे में
आँसू भड़ी गरीबी गीले आटे में
उसकी पौबाड़ा अलबत्ता छी छी छी
होली पर हल्की सर्दी है, गर्मी है
बातचीत में देखो कैसी नरमी है
पोछे नहीं पसीना सत्ता छी छी छी
भरी सुबह रोशनी हुई चितकबरी है
धड़ से अलग अहिंसा वाली बकरी है
धूप के सिर पे छांव चकत्ता छी छी छी
जनगणमन की सुबह कहो क्या शाम कहो
बजट बीच मेहमानवाजी राम कहो
बिना बात का बोनस भत्ता छी छी छी
सच्चाई के सिर पर भारी बक्सा है
मंहगे होटल में भारत का नक्सा है
राशन पानी कपड़ा लत्ता छी छी छी
अपनी कोई शक्ल नहीं आइने में
आग नहीं बस धुआँ भरा है सीने में
संविधान कागज का गत्ता छी छी छी
राजघाट पर बुश का कुत्ता छी छी छी
किसके हाथ तुरुप का पत्ता छी छी छी
राजघाट पर बुश का कुत्ता छी छी छी
गांधी जी की रूह रो रही सूने में
किसके हाथ तुरुप का पत्ता छी छी छी
राजघाट पर बुश का कुत्ता छी छी छी
गांधी जी की रूह रो रही सूने में
अपने तन का खून धो रही सूने में
मनमोहन ने टेका माथा छी छी छी
तुम ही माई बाप, सभी ने गाया है
नरमुंडों की माला पहने आया है
उसकी कुर्सी, उसका हत्था छी छी छी
इसको उसको सूंघ रहा सन्नाटे में
सरकारी पूंजी है सैर सपाटे में
कड़ुआ हुआ शहद का छत्ता छी छी छी
ऐश महल में, अर्थ व्यवस्था घाटे में
आँसू भड़ी गरीबी गीले आटे में
उसकी पौबाड़ा अलबत्ता छी छी छी
होली पर हल्की सर्दी है, गर्मी है
बातचीत में देखो कैसी नरमी है
पोछे नहीं पसीना सत्ता छी छी छी
भरी सुबह रोशनी हुई चितकबरी है
धड़ से अलग अहिंसा वाली बकरी है
धूप के सिर पे छांव चकत्ता छी छी छी
जनगणमन की सुबह कहो क्या शाम कहो
बजट बीच मेहमानवाजी राम कहो
बिना बात का बोनस भत्ता छी छी छी
सच्चाई के सिर पर भारी बक्सा है
मंहगे होटल में भारत का नक्सा है
राशन पानी कपड़ा लत्ता छी छी छी
अपनी कोई शक्ल नहीं आइने में
आग नहीं बस धुआँ भरा है सीने में
संविधान कागज का गत्ता छी छी छी
मनमोहन ने टेका माथा छी छी छी
तुम ही माई बाप, सभी ने गाया है
नरमुंडों की माला पहने आया है
उसकी कुर्सी, उसका हत्था छी छी छी
इसको उसको सूंघ रहा सन्नाटे में
सरकारी पूंजी है सैर सपाटे में
कड़ुआ हुआ शहद का छत्ता छी छी छी
ऐश महल में, अर्थ व्यवस्था घाटे में
आँसू भड़ी गरीबी गीले आटे में
उसकी पौबाड़ा अलबत्ता छी छी छी
होली पर हल्की सर्दी है, गर्मी है
बातचीत में देखो कैसी नरमी है
पोछे नहीं पसीना सत्ता छी छी छी
भरी सुबह रोशनी हुई चितकबरी है
धड़ से अलग अहिंसा वाली बकरी है
धूप के सिर पे छांव चकत्ता छी छी छी
जनगणमन की सुबह कहो क्या शाम कहो
बजट बीच मेहमानवाजी राम कहो
बिना बात का बोनस भत्ता छी छी छी
सच्चाई के सिर पर भारी बक्सा है
मंहगे होटल में भारत का नक्सा है
राशन पानी कपड़ा लत्ता छी छी छी
अपनी कोई शक्ल नहीं आइने में
आग नहीं बस धुआँ भरा है सीने में
संविधान कागज का गत्ता छी छी छी
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