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रोशनी उगाने का एक जतन और......

जब कभी भी फोन उठाता हूँ तो अजीब सी कपकपी छूटने लगती है लगता है डर एक अनजाना सा और लगता है कही वो व्यस्त तो नहीं दोस्तों के साथ, फ़िर कहेगा कि इस नामुराद का फ़िर से फोन आ गया शायद यह मुझे परेशान करने के लिए ही पैदा हुआ है बस यही सोचकर डर जाता हूँ और फ़िर से हाथ ठहर जाते है अपने समूचे शरीर पर आये पसीने को पोछता हूँ और बैठ जाता हूँ इस उम्मीद से कि थोड़ा समय और गुजर जाने दो फ़िर एक जतन और अभी एक जतन और रोशनी उगाने का एक जतन और.......

Comments

Tota said…
Don't feel that way..nothing has happened..everything is gonna be alright..We are with you..

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