किसी खोए हुए व्यक्ति को देखकर अपना पुराना दुख - और तब पता चलता है कि मरने से पहले हमने अपनी ज़िन्दगी का कितना हिस्सा - किसी खोए हुए व्यक्ति को देखकर अपना पुराना दुख - और तब पता चलता है कि मरने से पहले हमने अपनी ज़िन्दगी का कितना हिस्सा - जीते जी - किन - किन अजीब जगहों और व्यक्तियों में दफ़ना दिया है - उन यहूदी बन्दियों की तरह - जो नात्सी अफ़सरों के आदेश पर - मरने से पहले अपनी क़ब्र ख़ुद तैयार करते थे...जीते जी - किन - किन अजीब जगहों और व्यक्तियों में दफ़ना दिया है - उन यहूदी बन्दियों की तरह - जो नात्सी अफ़सरों के आदेश पर - मरने से पहले अपनी क़ब्र ख़ुद तैयार करते थे...
आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...
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