आओ महाराज इस पिछड़े परदेस में आपका स्वागत है............ए पोरया जा रे हाथ धोके साब को कट पिला और मेम साब के लिए कुर्सी पर फटका मार चल जा........अरे मास्टर सुना नहीं ये वही है जिनकी इस देश में सबसे बड़ी फेक्ट्री है शोषण की, इन्होने देश के पढ़े लिखे युवाओं को अपने डिब्बे चलाने दिए फ़िर अमेरिका में माल बेचा वहाँ से भगाया तो देश के नामचीन शहर में एयरपोर्ट की राजनीती में लग गये, जब टेक्स बढ़ने लगा तो कुछ बूढ़े नापाक रिटायर्ड आय ए एस अफसरों की रणजीत सेना बनाकर शिक्षा के क्षेत्र में दुदुम्भी बजा दी और सरकारों के आला अधिकारियों को टुकड़े डालकर अपना झोला फैलाया और अब ये आका है देश के समाजसेवी और बड़े कारपोरेट जगत के महामहिम!!! रोज ये गलियाते है राजनीति को, नेताओं को और देश को जेब में रखते है, इनकी बीबियाँ एनजीओ चलाती है और बहुत महंगे अखबारों में रोज एक लेख लिखती है बालिका शिक्षा पर, ए सरपंच इधर आ, जा दो पोया लेके आ देखता नहीं तेरी पंचायत में साब आये है अब तेरे गाँव के बच्चों का भला इनके गुर्गे करेंगे और फ़िर देखना बारहवीं के बाद इन्ही के विश्व विद्यालय में भेज देना जहां जाने माने लोग जो अपनी अंतरात्मा और जमीर बेचकर डुगडुगी बजा रहे है साब की और जिंदगी बेचकर मेनेजर बन् गये है, .........बोल जम्बूरे नवाचार करेगा जी सरकार......लों आ गये गरीब दलित और हाशिए के लोग भी आ जाओ आ जाओ बैठो झेलो...... तो साले गाँव के पिछड़े लोगों इधर आओ सुनो और चुपचाप सुनो वो जो मेडम इंग्लेंड से आई है सब लिख रही है तो समुदाय की भागीदारी के चटपटे किस्से भी दर्ज करेगी ..चलो बोलो कि मेरे बच्चे पढ़े नहीं है... साब नहीं आते तो म्रर जाते............अरे सालों बोलो कुछ तो बोलों , म् प्र का नाम डूबाओगे क्या, साले आदिवासी और दलित कही के..........इनका चरण वंदन करो ये कारपोरेट है देश की सबसे बड़ी ताकत और शक्ति ये सब खरीद लेंगे अब देखो ना वित्त मंत्री को तो निपटा दिया कपिल सिब्बल भी इनकी जेब में है सालों बोलो नहीं तो बंद हो जाओगे जेल में........सावधान होशियार खबरदार..............
आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...
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