उसे तराश के हीरा बना दिया हम ने फराज़,
मगर अब सोचते हैं उसे खरीदें कैसे...!!
आँसू हंसी हंसी में निकल आए क्यों फराज़,
बैठे बैठे यह कौन से गम याद आ गए...!!
बैठे बैठे यह कौन से गम याद आ गए...!!
काट कर जुबां मेरी कह रहा था वो फराज़,
अब तुम्हे इजाज़त है हाल-ए-दिल सुनाने की...!!
अब तुम्हे इजाज़त है हाल-ए-दिल सुनाने की...!!
तुम तक्क़लुफ़ को भी इख्लास समझते हो फराज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला...!!
कुछ ऐसे हादसे भी ज़िंदगी में होते हैं फराज़,
कि इंसां बच तो जाता है मगर ज़िंदा नहीं रहता...!!
तुम इसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठे हो फराज़,
उसकी आदत है निगाहों को झुका कर मिलना...!!
उसकी आदत है निगाहों को झुका कर मिलना...!!
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