Skip to main content

Tomb of Sand . Khari Khari, Drisht kavi - Posts of 27 May 2022

पिछले 8 वर्षों में ब्यूरोक्रेसी, जाँच एजेंसी, सेना पुलिस और न्याय पालिका ने जितने भद्दे तरीके से अपनी अक्ल और गरिमा को गिरवी रखकर काम किया है - वह बेहद शर्मनाक है और मेरे मन में जितनी श्रद्धा इनको लेकर रही कि ये क्रीम है और ब्ला ब्ला - अब बिल्कुल भी नही रही

ये लीचड़ और रीढ़विहीन लोग सँविधान के तहत नियुक्त किये जाते है , पर ये दो अतिशय मूर्खों और एक कमजोर , फासिस्ट, देश की संस्कृति के दुश्मन एवं मूल्यों के विरोधियों की टुच्ची फ़ौज की चाटुकारी करने में जुटे रहें और आज देश का हर बच्चा इन पर थूक रहा है
इतना ही नही, इनमे में कुछ नीच गिन्डोले और चालाक धूर्त अभी भी मलाई की लालच में दुनिया भर के कचरा उपाख्यानों द्वारा इन दुष्ट पापियों के नाजायज पापों को धार्मिक और न्याय संगत प्रतिपादित करने में लगे है
पता नही क्यों अब ये लोग ना मनुष्यता के दायरे में है और ना ही श्रद्धा या क्रीम के रूप में शेष है
डूब मरो
***
|| अरुंधति और अडिगा के बाद ग से गीतांजलि श्री ||

अपनी ही भाषा में लिखो पर ढंग का लिखो और अबकी बार किसी छोटे - मोटे देवता, शेर या सियार को नही - हिंदी की शेरनी को मिला बु क र
लो अब चिल्लाओं, मंगल गाने गाओ, ढोल मजीरे बजाओ - हिंदी, हिंदी, हिंदी करो - बहनापा जताओ, फोटू लगाओ
सुन वो अंजू, मंजू, सरगना गीता, सीता, अनिता, सुनीता और सुन वो राधे, मोहन, सोहन, अनिल, सुनील, बलविंदर, जितेंदर , धर्मेंदर, शिवम, नमन और हिंदी के रिटायर्ड कलम घिससू आधे अधूरे लाईवा लेखकों- अपनी गीताजंलि सिरी बु क र ले आई है, औरतों उम्मीद रखों सबको मिलेगा - जब तक बाज़ार है, सबको मिलेगा कलम घिसती रहो - बस
साहित्यकार ना बन सकें पत्तलकारों, जुगाड़ों फेलोशिप और हो जाओ शुरू, पेल दो लेख और यूट्यूब पर कोई घटिया सी कॉपी पेस्ट फ़िलिम और महान बनने का जतन तो करो, तुम्हारे हिस्से के पेज पर चाटुकारों के अलावा है ही कौन
नौकरी बचाकर किरान्ति करने वाले फ़र्जी कामरेडों और संसार के बापड़े साहित्यिक जीव जंतु - ढूँढो मोबाइल में कोई फोटू है भैंजी के साथ या कभी मंगवाया था क्या रेत समाधि, पेलो ज्ञान उस पर अब और लिखो कि तुमने तो पेले ई के दिया था कि जे बुकर लायक है
ढूँढो बै मोदी का ट्वीट और रामनाथ की
बधाई
, पता नही इनको समझता भी है कि नई - हिम्मत तो की इसने - जो भी लिखा, "पुरुस्कार तो ले आई, तगड़ा" - लड़कियों शोध करो, लौंडों गाइड को मारो गोली और दौड़ो उधर कि दौड़े बिना मिलता नही कुछ, अखिलेश, रचना, अरुण देव, प्रभात रंजन और शम्भू को बोलो विशेषांक निकाले और विवि के माड़साब लोग्स सेमिनारों का यलगार हो, ग्रांट मांगों यूजीसी से
आसीस दो, पिरेम करो राजकमल कूँ, आमोद और अदिति कूँ, पुचकारो गौरीनाथ, निर्मोही और माया कूँ कि भला करते चलो और अमेज़ॉन के डिलीवरी बॉय कूँ पना पिलाओ या लस्सी मठ्ठा - जल्दी करो , एडिशन खत्म हो रियाँ है
बैसे कौन विवि में पढ़ाती है, फ़जा और रज़ा में देखा तो नई कब्बी, इसके बच्चे आयएएस तो नई, या पति चाणक्य पूरी की किसी एम्बेसी में - ऐसे ई पूछ रिये थे, लगता तो नई था कि इत्ती तगड़ी सेटिंग होगी - अरे बो अंग्रेज थी ना संग में , तब्बी तो ......
***

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...