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Panchayat 1 & 2 , Kuchh Rang Pyar ke - Posts of 23 and 24 May 2022

 || बिगाड़ के डर से ईमान की बात ||

बहुत उम्दा साफ सुथरी सीरीज है पंचायत - 1 और 2, हमारे आसपास के चरित्र, हिस्से और छोटे लाभ से लेकर जनहित की बातें बताने वाली सीरीज़ है , जरूर देखी जानी चाहिये बल्कि यह पाठ्यक्रम का हिस्सा हो ग्रामीण विकास और समाज कार्य का
जितेंद्र कुमार का अभिनय श्रेष्ठ ही नही बल्कि फ़िल्म फेयर लायक है - हालांकि उसे इसलिए मिलेगा भी नही कि यह सीरीज़ है ना कि फ़िल्म, पर इतने मंजे हुए कलाकार के रूप में उसने अपने को ढाला है और सचिव का रोल निभाया है कि लगता है हम कही पड़ोस में बैठकर लाइव देख रहें हैं सब ; रघुवीर यादव, नीना गुप्ता जैसे कलाकार का होना भी आश्वस्ति है इस सीरीज़ में
जरूर देखी जाये यह सीरीज़ और सबको जनता का भरपूर प्यार मिलें पर इसमें एक बड़ी सीख यह है कि जिस तरह से राजनीति और ब्यूरोक्रेसी ने पंचायती राज अधिनियम 1993 और 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम का मखौल उड़ाकर जो विकेंद्रीकरण का कचरा किया है वह गम्भीर है, आज हर योजना प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के नाम से चल रही है, 29 विभागों की जवाबदेही पंचायत को सौंपी थी - वो नज़र नही आती, तहसील का अदना सा चपरासी या पटवारी सरपंच को चमका देता है, एक बार तत्कालीन केबिनेट सचिव और मेरे गुरू स्व अनिल बोर्डिया जी ने कहा था कि "1970 में विधायक कलेक्टर के रूम के बाहर लोहे की बेंच पर मिलने का इंतज़ार करता था", आज का लठैत विधायक कलेक्टर या प्रमुख सचिव के दफ़्तर में दरवाज़े पर लात मारकर अंदर घुसता है, मज़ाल कि उसे इंतज़ार करना पड़े, पर ब्यूरोक्रेसी यह नही समझ रही कि पंच या सरपंच भी जन प्रतिनिधि है
बहरहाल, उम्मीद पर दुनिया कायम है सब समझेंगे एक दिन अधिनियम भी, पेसा भी और वनाधिकार कानून भी, महिला सरपंच भी और सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भी - समुदाय और आदिवासियों की ताकत भी, कब तक डराओगे हम लोगों को तुम नामुरादों
एक बात याद रखिये -
"लोकसभा, ना राज्यसभा
सबसे बड़ी ग्रामसभा"
***
|| खुशी की खबर ||
●●●●●
चलिये, इस भीषण गर्मी, जीवन के अवसाद, संतापों, यायावरी, कामों के बीच भागते - दौड़ते, पढ़ाई और फ्रोज़न शोल्डर की फिजियोथेरेपी के साथ परीक्षा हॉल में तीन घण्टे चुपचाप बैठकर लिखने की यंत्रणा और इस सबमें आज एक छोटी सी सुखद सूचना
एलएलएम [ Master of Law ] के पहले सेमिस्टर का रिजल्ट आ गया, मुबारक हो संदीप बाबू पास हो गए तुम, क्या कहते है गधे घोड़े गंगा नहा लिए ....डेढ़ सेमिस्टर और बचा है, हाथ - पाँव और दिमाग सई साट रियाँ तो ये पाँचवी मास्टर डिग्री हो जाएगी, तीन स्नातक, दो पीजी डिप्लोमा और एक शोध डिग्री के अलावा
सनद रहे कि ये कोविड वाली घर बैठकर टीपने वाली नई थी और हमारा ही पहला बेच है देवास के विधि महाविद्यालय में तो मामला टेढ़ा भी था

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