Skip to main content

Drisht Kavi and Vikas Samvad's Book, Posts of 15 to 19 May 2022




दो बेहद जरूरी किताबें
■ "हमारी पोषण वाटिका"
☘️🌿☘️
अपने घर खेत, आंगन, छत, स्कूल या आँगनवाड़ी परिसर में कैसे सब्जियाँ उगाकर आप बेहतरीन पोषण पा सकते है और कब - कैसे इन सब्ज़ियों को उगाये, कैसे बीज चुनें, क्यारी का आकार - प्रकार क्या हो, कैसे हो और अलग - अलग समय पर कौनसे बीज बोये - ताकि आपकी रसोई बारहों मास सब्जियों से गुलज़ार रहें - यह क़िताब आपको सारी बातें विस्तार से बताती है, साथ ही सब्ज़ियों के नाम उनके गुण, पौष्टिक गुण भी बताती है ; घर के गमलों से लेकर खेती में इनके लिए उपयोग में आने वाले उपकरणों की भी जानकारी बहुत सरल भाषा मे देती है इसके साथ कसमें जीवामृत, अमृत हांडी और वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधियां भी दी हुई है
हर घर में यह क़िताब होनी ही चाहिये और इसका प्रयोग करके हम न्यूनतम गमलों और जगह में भी सब्जियाँ उगाकर अपनी दैनंदिन पोषण आवश्यकताओं को पूरा कर सकते है
-------
■ "टीकाकरण से सम्बंधित सवाल जवाब"
बच्चों और गर्भवती महिलाओं के जीवन में एक टीका कितना महत्वपूर्ण होता है - यह प्रतिपादित करने की आवश्यकता अब नही है, व्यापक जागरूकता इधर बढ़ी है, बावजूद इसके अभी भी तमाम प्रयासों के बाद हम शत - प्रतिशत रूप से दूर - दराज़ के इलाकों में टीकाकरण का लक्ष्य नही प्राप्त कर सकें है , कई सवाल आशंकाएं लोगों के दिल दिमाग़ में है - बहुत सरल भाषा में टीकाकरण से सम्बंधित जानकारी सवाल - जवाबों की रोचक शैली में इस पुस्तक में है
सभी प्रकार के टीके और पोलियो आदि से सम्बंधित जानकारियों से परिपूर्ण यह किताब बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो हर घर में होना ही चाहिये - खासकरके उन घरों में जहाँ छोटे बच्चे है, नवदम्पत्ति है, गर्भवती महिलाएँ है और वैसे भी सबको यह जानकारी होना जरूरी है
-------
ये दोनों किताबें #विकाससंवाद #VikasSamvad भोपाल से प्रकाशित है, किताबों पर मूल्य नही है , पर प्रकाशन लागत और कुरियर के लिए आप कम से कम ₹ 300/ - का भुगतान एडवांस में करके ये दोनों किताबें मंगवा सकते है , कृपया निशुल्क मांग ना करें और यदि आप इनका उपयोग करें तो ही मंगवाये - लिमिटेड प्रतियां ही उपलब्ध है
◆ पता है -
विकास संवाद
ए - 5, आयकर कॉलोनी, जी - 3, गुलमोहर
शील पब्लिक स्कूल के पीछे, बावडिया कलां
भोपाल मप्र 462039
फोन - 0755 - 4252789
मेल आईडी - office@vssmp.org
◆ खाता क्रमांक या गूगल पे की जानकारी आप फोन करके पूछ सकते है
***
"साहित्यिक चिल्लाहट" बढ़िया टर्म है, अपने #दृष्ट_कवि को तो भोत ई पसन्द आया अब लाईवा के साथ इसका यूज होगा बहुतायत में
पाल्टी इस भयानक पोस्ट ट्रुथ के समय में यानी पोस्ट ट्रुथ वाले जमाने में Deepti Kushwah जी का आभार प्रकट करती है
***
अभी किसी को पूछा कहाँ पढ़ते हो मल्लब शोध कर रहे तो बोला " *&^% " , मैंने कहा मल्लब - "ब्राह्मण हिन्दू विवि" बढ़िया है - लगे रहो, जल्दी ही डाकसाब बन जाओगे बस अपने महामात्य की हर बात को यहाँ चैंपते रहना, उनकी भक्ति करना और हिंदी विभाग के द्वार खड़े होकर नचिकेता की तरह उजबक सवाल ना करना वरना अथर्ववेद तो लिखा जा सकता है पर पीएचडी की डिग्री तो दूर होस्टल में जगे नी मिलेगी
अब आप लोग बूझे कि जे क्या अनाप शनाप निकल गया मुँह से
😜

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही