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Khari Khari, Kuchh Rang Pyar ke and posts from 26 April to 1 May 2022

 || दुनिया के फेसबुक लेखकों को एक हो जाओ ||

अपुन लोग्स फिरी में ससुरे जुकेरवा कूँ कंटेंट देता है, भक्तों से लड़ाई करके वकिल्स और पुलिस को रोज़गार, साहित्य से जुड़े फोकटिये सम्पादकों को काम, निठल्ले प्रकाशकों को आजीविका और मीडिया को सुरसुरी वाला मसाला, साला कवियों और कवयित्रियों को फोकट में झेलो - मल्लब क्या क्या ना सहें हमने सितम इस लाईक - कमेंट की खातिर
और अपुन को मिलता क्या है - बाबाजी का ठुल्लू
तो बोलो मजदूर दिवस ज़िंदाबाद
1 मई ज़िंदाबाद
दुनिया के फेसबुकियों - एक हो जाओ
[नया वाला संगठित और नेट दीक्षित मजदूर]
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DrGarima Sanjay Dubey बहन ने बड़ी मार्के की बात कही आज "हर आदमी एक चलता - फिरता ब्लड बैंक है और यदि आपका खून किसी जरूरतमंद के शरीर में नही दौड़ रहा हैं तो आपका खून किसी काम का नही है", Sapna Shiwale Solanki जी ने भी यह प्रतिपादित किया कि "सच्ची ख़ुशी जरूरतमंद को खून देकर ही प्राप्त की जा सकती है क्योंकि खुशियाँ बाज़ार में नही मिल सकती, आप अमेज़ॉन या स्विगी से सब आर्डर कर सकते है पर खुशियाँ नही"
मित्रों, ये बीज वक्तव्य थे - परन्तु बहुत वृहद अर्थ और सार्थकता लिये हुए थे, आज और शेष बचे जीवन की बड़ी सीख है मेरे लिए
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हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

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चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही