"मेरी ज़िंदगी में अगर सीख देने वाला कोई सबसे बड़ा अनुभव है तो वो मेरे पिता का निधन है. इससे बड़ा अनुभव हो ही नहीं सकता. अब मैं उसे देख सकता हूं और कह सकता हूं कि जिस व्यक्ति या ताक़त ने मेरे पिता को मारा, उसने मुझे भीषण दुख और दर्द दिया. ये बात पूरी तरह ठीक है. एक बेटे के रूप में मैंने अपने पिता को खोया. आप में से कुछ लोगों के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा, और ये काफी दर्दनाक बात है. लेकिन मैं इस तथ्य से भी इनकार नहीं कर सकता कि इसी घटना ने मुझे वो चीज़ें भी सिखाई हैं, जो मैं और किसी परिस्थिति में कभी नहीं सीख सकता था. इसलिए जब तक आप सीखने को तैयार हैं, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग कितने दुष्ट हैं, वो कितने बुरे हैं."
◆ राहुल गांधी
In a Talk Show at Cambridge University
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हम भारतीय जो पितृ और मातृ दिवस पर ज्ञान देते नही अघाते, यह सब पढ़कर भी संवेदनशील नही हो पाते , एक तार्किक आदमी को पप्पू कहते है - इतनी अक्ल हममें नही कि कम से कम भाषा ही समझ लें और व्यवहार रखें, ना दें काँग्रेस को वोट पर किसी को पप्पू तो नही कहें
असल में इस सबमें भाजपा एवं संघ की आईटी सेल और मोदी - शाह का बड़ा हाथ है, इन लोगों ने बड़े शातिर और कायराना तरीके से षड्यंत्र करके नीचता के साथ योजना बद्ध तरीके से राहुल को बदनाम किया, आज भी राहुल की भाषा, समझ और तर्क इन सब मूर्खों से हजार गुना बेहतर है
यदि प्रधानमंत्री में दम है तो एक प्रेस कांफ्रेंस करके दिखाए वरना ऑक्सफोर्स , स्टैनफोर्ड या केम्ब्रिज के विवि तो दूर भारत के एक प्राथमिक स्कूल के बच्चों से बात करने का शऊर नही और तो और दुनिया की प्रेस की आवाज दबाने का जतन शुरू कर ही दिया है "ज़ीरो क्वेशन" नीति से
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तीसरी ज़हरीली फ़सल
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◆ किसानों ने तीसरी फसल मूंग की ली जो भयानक जहरीले खाद, रसायन, पेस्टीसाईड्स मिलाकर मात्र 55 -56 दिनों में आ गई, किसान खुश हुआ और मोगैम्बो भी
◆ सरकार ने खरीद ली और भंडारण कर लिया
◆ गेहूं आया तो रखने की चिंता हुई सरकार को लिहाजा पीडीएस से निपटाने की सोची, ये अलग बात है कि किसानों ने अबकी बार पूरा गेहूं दबा लिया और शातिरी से काम लिया घणा सारा रूस युक्रेन को बेच दिया और बाकी अभी भी दबा हुआ है
◆ सरकार ने तालियाँ बटोरने को प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को दस किलो और माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को पन्द्रह किलो मूंग देने की घोषणा की किस शूरवीर ने ज्ञान दिया नही मालूम
◆ अब कंट्रोल की दूकान वाले फ़ोकट में यह काम कर रहें है बांटने का
◆ जैसे ही अभिभावक कंट्रोल की दूकान से अपने बच्चे / बच्चों के हिस्से की मूंग बोरी में भरकर ले जाते है - उसके ठीक चार घंटे बाद यही मूंग की बोरी बाजार में आ जाती है बिकने को
◆ व्यापारी खरीद लेता है कम दाम पर और अभिभावक खुश है कि चार पैसे मिल गए हाथ में
◆ अब उखाड़ लो कुपोषण का या किसी का भी - इतनी जहरीली है यह मूंग कि पूछो मत
[ कल एक गाँव में था और राशन की दूकान पर सब समझ रहा था गणित, तो ये चंद अवलोकन सामने आये, फ्री कल्चर बंद करो, तालियाँ बजवाने वालों के हाथ तोड़ो और बाकी तो जो है हईये है, मध्यम वर्ग भुगतता रहें टेक्स, पेट्रोल डीज़ल के दाम और कमर तोड़ महंगाई ]
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