अगर आप मेरे घर का पता पूछे
तो मै आपको पूरा पता बताउंगा
और यह भी कहूंगा कि घर के बाहर
एक पेड़ है बड़ा गुलमोहर का पेड़
यह पेड़ नहीं मेरा सहयात्री है
सन उनअस्सी में जब इस घर आये
तो कही से एक पौधा रोप दिया था
और देखते देखते बड़ा हो गया बन गया पेड़
मैंने इसको नहीं, इसने मुझे
बड़ा होते देखा और सराहा
कई मौकों पर यह मेरा साथी बना
अपनी जवानी में जब उठा मेरे जीवन से
पिता का साया तो इसे पकड़ कर
रोया और ढाढस बंधाया माँ को
फिर भाई की शादी में इस पर की
रोशनी और लगाया टेंट को टेका
इसी से हरापन बचा रहा घर में मेरे
ठण्ड, गर्मी और बरसात में इसी के
पत्तों से आती रही छाया और बहार
इस बीच हर बार छांटता रहा
डगालियाँ इसकी कि कही बेढब
या दूसरों की जद में ना बढ़ जाए
और बीनता रहा पत्तों के ढेर अक्सर
कि जीवन फिर आता है पत्तों सा बार बार
माँ को अस्पताल जाते समय विदाई दी
इसने कि जल्दी लौट आना गृह स्वामिनी
पर जब लौटें लाश लेकर तो एक
पंछी भी नहीं बैठा था और सारे पत्ते सन्न थे
चुपचाप झर गया माह अगस्त में यह पूरा
फिर इसने एक नया आसमान खोला
सम्भावनाओं का, हरा हुआ पूरा एक बार फिर
हम सब जीवन में लौट आये थे
उबर रहे थे सदमे से कि एक बार फिर सचेत किया
इसने इस तरह कि यह सूखने लगा जड़ों से
गुलमोहर के मोटे और ऊँचे तने में
एक बरगद कही से उग आया था
सुना था बरगद के नीचे कोई नहीं पनपता
पर यह दुनिया का अनूठा गुलमोहर है
जो बरगद को अपनी शिराओं से पाल रहा है.
सोचा तो कई बार कि उखाड़ फेंकू बरगद को
माँ ने मना किया कि बरगद में ईश्वर का वास है
यह कैसा इश्वर था जो हरेपन को सूखा रहा था
बरगद फूल रहा था और पेड़ सूख रहा था
धीमे से परन्तु कुछ नहीं बोला गुलमोहर
अभी जब गुजरा भाई तो यह फिर सूखा था
शाखें भी टूट गयी थी, झर गयी थी पत्तियाँ
दीमक लगने लगी है इसके तने में
पुराना पड़ता जा रहा है ठीक मेरी तरह
और अब सिर्फ हरापन बाकी है ऊपर से
गुलमोहर का यह पेड़ अब हो गया है
सभ्यता और इतिहास में दर्ज कि
एक परिवार को इसने बढ़ते और ख़त्म होते
देखा है, अब नई शाखें जो बिखर रही है
बरगद और गुल मोहर गडमड है आपस में
सब ख़त्म हो रहा है, हरापन पत्तियाँ, शाखें
बरगद अपने पाँव गुलमोहर में रहकर
पसार चुका है और ख़त्म कर रहा है इसे
फिर भी कमजोर तने और कुतरती दीमकों के
साथ खडा है पेड़ अपनी पुरी ताकत के साथ
फिर सामने है गर्मियां और कड़ी धुप
फिर आयेंगे राहगीर बैठ जायेंगे इसकी छाँव में
मांगेंगे पानी मुझसे और मै उन्हें पानी देकर
ताकता रहूंगा इसके हरेपन को, निहारूंगा
और आपको कहूंगा कि जहां पेड़ है वहाँ घर है.
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