अचानक कौंध जाती है कई गलियां, सड़कें और ऊंघती अनमनी
सी टेढी मेढी पगडंडियां जिनसे गुजरकर आज यहां पहुँच गया जहां से कोई रास्ता नजर
नहीं आ रहा..
पुकारता
हूँ उन पथरीले रास्तों को और उन खम्बों पर टिक जाती है नजरें - जिन पर रात में
जलने वाले लट्टू नहीं थे और सर्द हवाओं ने जिनके खोखलेपन को सर्द कर दिया था किसी
लाश के मानिंद.
देखता
हूँ , बिचारता
हूँ , और
लगता कह दूं कि तुम्हारा होना और ना होना अब बेमानी लगता है, बस इतनी हिम्मत बची
नहीं कि उन गुफाओं में एक बार लौटकर सिर्फ छू भर आऊँ कि मैं और तुम ठहरे थे एक
पल, साझा
की थी साँसे और फिर चल दिए थे अलहदा होकर !
तुम्हारे लिए ....सुन रहे हो ना ... कहाँ हो तुम .......
सुनो मैं वहीं हूँ, वहीं कहीं हूँ। बस वक़्त तेज़ी से भाग रहा है, और मैं पीछे छूटता जा रहा हूँ। पर देख पा रहा हूँ, तुम्हें दूर से आ रही रोशनी की तरह। थका हूँ, पर हारा नहीं। ज़िंदगी जब तक है, मैं हार नहीं सकता।
एक तुम्हारे होने से ही सिर्फ,
मेरा वजूद खोता गया आहिस्ते आहिस्ते.
मेरा वजूद खोता गया आहिस्ते आहिस्ते.
एक तुम्हारा होना ही सिर्फ मेरे,
प्यार के कर्जदार होने की भी निशानी है।
प्यार के कर्जदार होने की भी निशानी है।
एक तुम्हारा होना ही सिर्फ,
सारी बेबसियों का सबब बन जाता है ।
सारी बेबसियों का सबब बन जाता है ।
पूरा मुकम्मल बना हूँ मैं,
सिर्फ एक तुम्हारे ना होने से ।
सिर्फ एक तुम्हारे ना होने से ।
- तुम्हारे लिए.... सुन
रहे हो ना .... कहाँ तुम ...
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