(गोरु वास्कले)
ये है गोरु वास्कले, जो मप्र के खरगोन जिले के ग्राम मुल्तान हीरापुर की रहने वाली है, गोरु आदिवासी समुदाय से आती है जहां लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाना अपने आप में एक चुनौती है परन्तु गोरु ने बड़े साहस से अपनी बुनियादी पढाई गाँव से करके संघर्ष करके इंदौर आ गयी. एक बड़े शहर में एक बड़े सपने के साथ और समाज के लिए, लड़कियों के लिए महिलाओं के लिए कुछ सार्थक करने, इंदौर के राष्ट्रीय कस्तूरबा ग्रामीण विकास और कल्याण संस्थान द्वारा संचालित महाविद्यालय में रही और और पढाई में ध्यान लगाया. यहाँ से गोरु ने ग्रामीण विकास में सफलता पूर्वक एम ए पूर्ण किया और फिर इंदौर शहर में एक एनजीओ के संपर्क में आई तो इन्हें लगा कि यह काम सार्थक भी है और मजेदार भी, शैक्षणिक रूप से यह काम बहुत महत्वपूर्ण था इसलिए उन्होने इस प्रोजेक्ट को ज्वाईन कर लिया. और सिर्फ गोरु ही नहीं दर्जनों से ऐसे कार्यकर्ता है और युवा लोग है जो मप्र के इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में जुड़कर गहराई से काम कर रहे है और इस काम में उन्हें ना मात्र मजा आ रहा है बल्कि वे इसे सर अंजाम तक पहुंचाने के लिए जी जान से जुटे है. कुछ कार्यकर्ता इसमे फुल टाईमर है और अधिकांश स्वेच्छा से अपना समय दे रहे है क्योकि मुद्दा ही ऐसा है. यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम है "सुरक्षित शहर - एक पहल"
मध्यप्रदेश और महिलाओं के खिलाफ अपराध
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हिसाब से देश भर में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में मप्र राज्य का सबसे पहले नंबर है, जहां महिलाओं के साथ चैन खींचने की घटनाओं से लेकर छेड़छाड़, दहेज़ ह्त्या, बलात्कार और देह व्यापार जैसे जघन्य अपराध देश भर में सबसे ज्यादा हो रहे है. सिर्फ यही कहानी नहीं रुकती, बच्चियों के साथ कुपोषण और भ्रूण ह्त्या के मामले में भी प्रदेश आगे है, मप्र के चम्बल और ग्वालियर संभाग में भ्रूण ह्त्या के मामले इतने ज्यादा है कि अब महिला बाल विकास विभाग को बेटी बचाने के लिए विशेष अभियान चलाना पड़ रहे है. भिंड, मुरैना, श्योपुर जैसे जिले इसमे अगुआ है, यहाँ कई एनजीओस ने बहुत सार्थक काम किया है, विकास संवाद जैसे पैरवी करने वाले संस्थान ने सहरिया आदिवासियों के बीच महिलाओ के मुद्दे और कुपोषण पर बेहद संजीदगी से काम करके शासन प्रशासन में कार्य प्रणाली में बदलाव लाने के लिए दबाव बनाया है. बहरहाल मप्र के चार बड़े शहरों में सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करने का प्रयास किया है और एक एक्शन रिसर्च का काम हाथ में लिया है जिसके तहत कई प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित की जा रही है.
सुरक्षित शहर - एक पहल
(सेफ्टी आडिट के दौरान)
इस एक्शन रिसर्च के तहत मध्य प्रदेश के चार बड़े शहरों में स्थानीय सुशासन की इकाईयों (नगर निगम) के साथ काम किया जा रहा है. आम तौर पर माना जाता है कि नगर निगम का काम शहर में सफाई, पानी बिजली सीवेज का काम ही होता है परन्तु इस स्टीरियोटाईप छबि को तोड़कर मप्र राज्य ने पहली बार देश में यह अनूठा प्रयोग आरम्भ किया है जिसके सार्थक नतीजे देखने को मिल रहे है. इस प्रयोग में इन चारों शहरों में नगर निगम के साथ एक-एक स्थानीय एनजीओ को जोड़ा गया है जो मप्र के नगरीय प्रशासन विभाग की एक स्थानीय तीन सदस्यीय टीम के साथ शहर को सुरक्षित बनाने के लिए कई प्रकार की गतिविधियाँ लगातार कर रहे है जिसमे प्रशिक्षण, कौशल उन्नयन, और आजीविका के साथ महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. हर शहर में 52 - 52 बस्तियां प्रयोग के तौर पर ली गयी है जहां महिलाओं के समूह बनाए गए है जो अपने आर्थिक सशक्तीकरण के साथ बस्तियों की मूलभूत समस्याओं पर भी ध्यान दे रही है. ये महिला समूह अपनी बस्तियों में महिलाओं और किशोर वय की लड़कियों के मद्दे नजर "सेफ्टी आडिट" करती है जिसमे वे अपनी बस्ती का नजरी नक्शा खुद बनाती है और शाम के झुरमुटे में समूह बनाकर निकलती है और नक़्शे में उन सभी स्थानों को चिन्हांकित करती है जो महिलाओं के लिए असुरक्षित हो सकते है. विभिन्न रंगों की बिंदियाँ लगाकर ये नक़्शे में सारे ऐसे स्थान दर्शाती है जो खतरे के हो सकते है, मुख्य रूप से बस्तियों में पानी भरने के स्थान, रात के समय बिजली के खम्बों पर ट्यूब लाईट ना होना या गोले ना होना, रास्तों पर रोशनी ना होने से निकलने में दिक्कत होती है, साथ ही पर्याप्त सड़के ना होना, या खुले में शौच के लिए जाने वाली जगहों पर खतरा ज्यादा रहता है छेड़छाड़ या बलात्कार होने का , जैसे स्थानों को प्रमुखता से दर्शाती है. फिर ये एक आवेदन तैयार करके पानी बिजली और सुरक्षा के मुद्दों को लिखकर सम्बंधित वार्ड के पार्षद और अधिकारी को ज्ञापन देती है. इस ज्ञापन में समस्याओं को सुलझाने की बात होती है, रात में पुलिस की गश्त लगाने की बात होती है, स्कूल कॉलेज आते जाते समय असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ की बात होती है. बाद में इसका विभागों से फालो अप भी करती है.
(पार्षद को अपनी समस्या बताते हुए)
जैसे इंदौर के गांधी ग्राम वार्ड क्रमांक 38, जो ज़ोन क्रमांक 8 में आता है , में दिनांक 18 - 19 फरवरी को गोरु वास्कले ने अपने साथियों और बस्ती की महिलाओं और युवाओं के साथ सेफ्टी आडिट किया जिसमे ढेरों समस्याएं निकल कर आई. असुरक्षित जगहों को चिन्हांकित करने के बाद वार्ड के नव निर्वाचित पार्षद श्री हाजी उस्मान पटेल को बुलाया और सभी महिलाओं ने सुरक्षा के साथ वार्ड की समस्याओं के बारे में बताया और ज्ञापन दिया.. हाजी उस्मान ने देर ना करते हुए अपने प्रतिनिधियों को लगा दिया कि रात के समय असामाजिक तत्व ना आये बस्ती में और अपराध ना हो, अपने दफ्तर के बोरिंग से सबको पानी देने लगे, और अब बिजली के सभी खम्बों पर लट्टू और ट्यूब लाईट लगाने का कार्य चल रहा है. इसके साथ जोनल अधिकारी ने महिलाओं को कचरे के प्रबंधन के लिए एक कचरे का डिब्बा रखने का आश्वासन दिया है और मच्छरों के लिए दवाई भी छिड़की जा रही है.
(पार्षद हाजी उस्मान पटेल )
युवा लड़के भी जुड़े है इस परियोजना से
इस परियोजना का एक अच्छा पहलू यह भी है कि इसमे लडके युवा और किशोर भी जुड़े है जिन्हें जेंडर और महिला समानता का बाकायदा तीन - तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है, इस प्रशिक्षण में इन्हें जेंडर , लिंग भेद, महिलाओं के मुद्दे, सुरक्षा आदि मुद्दों पर संवेदनशील बनाया गया है, हर बस्ती से पन्द्रह् से बीस युवाओं को एक एक दिवसीय प्रशिक्षण भी दिए गए है ताकि वे क्लब बनाकर नियमित मिलें, खेल खेले और बातचीत करें कि अपनी बस्ती में महिलाओं, लड़कियों को सामान कैसे मिले और छेड़छाड़ कैसे रुके. चारों शहरों में युवा लड़कों के साथ महिलाओं को घरेलू हिंसा क़ानून और निर्भया काण्ड के बाद कानूनों में किये गए बदलाव, दहेज़ निषेध अधिनियम , बाल विवाह निषेध अधिनियम आदि का प्रशिक्षण दिया जाकर स्थानीय विधि सलाह्कारों से भी जोड़ा जा रहा है ताकि महिलाओं को निशुल्क संविधान प्रदत्त सहायता मिल सके. युवाओं को आजीविका कार्यक्रम में जोड़ा जाकर उनके कौशल उन्नयन के लिए भी जोड़ा जा रहा है ताकि वे स्वरोजगार में लिप्त होकर गौरव और सम्मान के साथ जीवन जीने को उन्मुख हो सकें. महिलाओं के स्व सहायता समूह बनाकर बैंकों से लिंक किया जा रहा है ताकि उन्हें लों आदि देकर आत्म निर्भर भी बनाया जा सकें.
(सेफ्टी आडिट के दौरान विशेषग्य)
परियोजना का अनुश्रवण और आगे की दिशा
परियोजना के मूल्यांकन और प्रशिक्षण आदि के लिए प्रदेश के चारों शहरों में तीन - तीन सदस्यों की एक टीम है और राज्य स्तर पर चार वरिष्ठ सलाह्कार चारों शहरों में घूम घूमकर अंशकालीन काम कर गतिविधियों को संचालित करने में सहयोग दे रहे है, ये सलाहकार सामग्री बनाने से लेकर, प्रशिक्षण, दस्तावेजीकरण आदि का कार्य करते है और समय समय पर विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय का कार्य भी करते है. यह सम्पूर्ण कार्य नगर निगम और मप्र शासन के नगरीय प्रशासन विभाग की मदद से हो रहा है. इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आगे स्थानीय ट्रांसपोर्ट से जुड़े बसों, टेम्पो और वाहनों के चालको और कंडक्टर्स के साथ महिला सुरक्षा के मुद्दों पर उन्मुखीकरण के काम की योजना है. "सेफ्टी पिन" नामक एक एप को लांच किया गया है जो महिलाओं को सुरक्षा में मदद करेगा. हाल ही में ब्रिटिश सरकार की मंत्री द्वय ने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनेक लोगों ने मध्य प्रदेश में हो रहे इस अनूठे प्रयोग को, संस्थाओं द्वारा किये जा रहे नवाचारों को देखा है जहां लड़कों के बीच जेंडर के स्टिरीयोटाईप रोल तोड़ने के लिए 'रोटी बेलो' प्रतियोगिता रखी गयी थी जैसे आयोजनों को देखा और सराहा है.
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