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India's Daughter - A Must See Movie

 निशुल्क दिखाए इंडियाज डाटर 


"इंडियाज डाटर" एक बार देख लो फिर अपने घर की ओर देखना और उसके बाद कोई कमेन्ट करेंगे तो बेहतर होगा.


यह फिल्म नहीं, हमारे समाज और विकास की कहानी है, वकील, न्यायाधीश, पुलिस, अस्पताल, समाज के ठेकदार, दलाल और गरीबी के दुश्चक्र में फंसे लोगों का जीवंत दस्तावेज. मेरा चैलेन्ज है कि हिन्दुस्तान में किसी माई के लाल में ना वो संवेदना है ना समझ कि एक केस के माध्यम से समूचे भारतीयत्व को नंगा करके कहे कि "राजा नंगा है" और इतनी दमदार असरदायक फिल्म बना लें. भारतीयता, जनमानस और पुरुष प्रधान समाज को कितनी बारीकी से पकड़ कर व्याखित किया है. यह फिल्म समाजसेवियों महिलावादियों और एनजीओ कर्मियों की भी पड़ताल करती है और दिखाती है कि कैसे हम रिएक्ट करते है, कैसे पैरवी और कैसे मेनुपुलेट करते है.



जो साथी क्या इंटरकोर्स दिखाए जन मानस को, जैसे भोले प्रश्न करके समाज की हलचल को समझने का प्रयास नहीं कर रहे और भला बुरा कह रहे है उन्हें यह समझना होगा कि समय अब बदल रहा है और सूचना तकनीक के युग में सब कुछ उजला उजला नहीं है. हमारे बच्चे हमसे ज्यादा हमारे समय को जानते है, उनके मोबाईल में नेट के जरिये एक वृहद् संसार बसता है, जिसकी जानकारी माँ - बाप को भी प्रायः नहीं होती और ठीक इसके विपरीत ये पीढी बेहद संवेदनशील और जागरुक भी है.

एक घंटे की यह फिल्म देखी अभी डाउन लोड करके, ये दीगर बात है कि माननीय राजनाथ सिंह जी ने आज सदन को आश्वस्त किया था कि ये फिल्म कही भी नहीं देखी जायेगी परन्तु बड़ी आसानी से यह अपने कंप्यूटर सिस्टम पर ली जा सकती है, वकील सिंह साहब का कहना कि संसद में 200 बलात्कारी है - उनके लिए भी फास्ट ट्रेक कोर्ट लगाओ, सही है, वाजिब और निहायत आवश्यक प्रश्न, क्या माननीय सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर इस फिल्म के हवाले से संसद की अध्यक्षा परम आदरणीय सुमित्रा ताई को को एक स्पष्टीकरण भेजेगा, क्योकि इससे आपके - हमारे देश की छबि साफ़ होगी, और संसद में निहाल्चंद्र जैसे सांसदों को घर वापसी का बेहतर मौका मिलेगा.


आईये, इस फिल्म को देखें - दिखाए और समझाएं कि इसके मायने क्या है और समझ क्या बनेगी. सम्मान करें और सम्मान पायें. एक सही मौके और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय समाज और क्षितिज पर चर्चा में आई इस फिल्म को मेरी नजर में निशुल्क दिखाना चाहिए छविग्रहों में, अगर इतना साहस हमारे समाज में नहीं, सरकार में नहीं तो घरेलू हिंसा क़ानून से महिला हिंसा निषेध 2005 जैसे क़ानून को रद्द कर दो और फिर एक जंगल राज के घोषणा कर दो संविधान सम्मत !!!!

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