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मप्र का स्थापना दिवस बनाम समस्याएं और आम जन.......

मप्र स्थापना दिवस पर मप्र की बदली तस्वीर............कितना सच और कितना वास्तविकता पर यह माननीय मुख्यमंत्रीजी का सरकारी सन्देश है सो ज्यों का त्यों रख रहा हूँ...........सुधीजन बताए कि कितने पास और दूर है हम......

" ७.६ % आर्थिक विकास लक्ष्य को दो साल पहले ही पीछे छोडकर योजना के अंत में १०.२० % विकास दर हासिल की गयी. मप्र ने २०११-१२ में लगभग १२ % आर्थिक विकास दर और १८ % कृषि विकास दर हासिल कर अपनी आर्थिक मजबूती का परिचय दिया. सन २०११-१२ में मप्र ने आर्ह्तिक विकास दर में गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, प. बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और तमिलनाडु जैसे दिग्गज प्रदेशों को पीछे पछाड़ दिया है. प्रदेश में ९४५८ मेगाटन विद्युत उत्पादन हो रहा है. अगले साल के अंत तक ग्रामीण परिवारों को २४ घंटे बिजली मिलेगी."मध्यप्रदेशियत" (पता नही यह प्रदेशियत क्या होता है जैसे बिहारी या मद्रासी???) जगाने में हम सफल रहे है. प्रदेश में दस्यु समस्या का उन्मूलन हो चुका है, सिमी का नेटवर्क ध्वस्त हो चुका है, माओवाद पर अंकुश है, मुख्य मंत्री निवास में सभी धर्म के पर्व मनाये जाते है. अब मप्र ना बीमारू है न पिछडा, न मात्र सम्भावनाओं का प्रदेश है न पिंजरें में बंद  शेर. अब यह उदीयमान प्रदेश है. पिछले नौ बरसों में यह सम्भावनाओं को साकार करने वाले प्रदेश के रूप में उभरा है"

बहरहाल आज प्रदेश की बरसगाँठ है सो सभी को हार्दिक बधाई इस बात के साथ कि लाखों संविदा कर्मचारी आज भी तनाव में सोते है कि कल सरकार उनकी नौकरी ना खा जाये.......या कब तक वे यूँही बंधुआ मजदूरी करते रहेंगे और भ्रष्ट नौकरशाह अपनी तिजोरियां भरते रहेंगे और अंतर्राष्ट्रीय गिरगिट इस प्रदेश का दाना पानी चुगते रहेंगे......विकेन्द्रीकरण के नाम पर पुरे प्रदेश में सबसे बड़ा कॉमेडी शो होता रहेगा.....

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