(I)
तुम्हारे लिए..........सुन रहे हो...............कहा हो तुम........
हम दोनों हैं दुखी । पास ही नीरव बैठें,
बोलें नहीं, न छुएं । चुपचाप समय बिताएं,
अपने अपने मन में भटक भटककर पैठें
उस दुख के सागर में जिसके तीर चिंताएँ
अभिलाषाओं की जलती हैं धू धू धू धू ।
-त्रिलोचन !
हम दोनों हैं दुखी । पास ही नीरव बैठें,
बोलें नहीं, न छुएं । चुपचाप समय बिताएं,
अपने अपने मन में भटक भटककर पैठें
उस दुख के सागर में जिसके तीर चिंताएँ
अभिलाषाओं की जलती हैं धू धू धू धू ।
-त्रिलोचन !
(II)
ले दे कर अपने पास फ़कत एक नज़र तो है
क्यूँ देखे जिन्दगी को किसी की नज़र से हम......
-साहिर लुधयानवी
क्यूँ देखे जिन्दगी को किसी की नज़र से हम......
-साहिर लुधयानवी
(III)
बशीर बद्र साहब आपने क्या क्या सहा होगा और ये लिखा फ़िर..........
अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे
वो आइना है तो फिर आइना दिखाए मुझे
अजब चराग हु दिन रात जलता रहता हु
मै थक गया हु हवा से कहो बुझाये मुझे
अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे
वो आइना है तो फिर आइना दिखाए मुझे
अजब चराग हु दिन रात जलता रहता हु
मै थक गया हु हवा से कहो बुझाये मुझे
बहुत दिनों से मै इन पत्थरो में पत्थर हु
कोई तो आये जरा देर को रुलाये मुझे
मै चाहता हु तुम ही मुझे इजाजत दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाये मुझे
कोई तो आये जरा देर को रुलाये मुझे
मै चाहता हु तुम ही मुझे इजाजत दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाये मुझे
(IV)
अपने
बारे में लगातार आलोचना सुन सुन कर और नकारात्मक व्यक्ति के खिताब जीतने
की बाद लगा कि शायद ये चार पंक्तियाँ, पुरानी है पर बहुत मौंजू है........
लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं
लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं
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