कुछ पछतावे कभी भी जीवन में पछतावे नहीं बन् पाते वो नासूर बन् जाते है और हम ताउम्र इन्ही के साथ जीने को अभिशप्त रहते है...................सुना क्या...............कहा हो तुम...........
हम
अपने लोगों से गुस्सा होने का भले ही नाटक कर ले कितना भी उन्हें हर्ट कर
दे और कह दे जो कहना हो कि इससे शायद रिश्ता टूट जाएगा और सामने वाला हमें
भूलकर हमेशा के लिए चला जाएगा, बिसरा देगा सब कुछ पर ऐसा नहीं
होता.......................... ........कभी
नहीं होता.........बस हमें सच कह देना चाहिए............कि नहीं वो सब
नाटक था ताकि तुम खुश रह सको मेरे बगैर भी ............मै सच में तुम्हे
मिस कर रहा हूँ ..............कहाँ हो तुम.........सुन रहे हो.......अगर हमें दोस्ती और रिश्ते निभाना हो तो एक दूसरे की कमजोरियों को समझकर अच्छाईयों के साथ जीना सीखना होगा
(नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथा)
(नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथा)
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