सिर्फ बिहार ही नहीं मप्र में भी यही स्थिति है आधे से ज्यादा जिलो के कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विभागीय जांचो में फंसे है , जन भागीदारी नामक एक योजना में सरपंच और पञ्च, साथ ही विभाग के अफसर रोज डकार ले रहे है, विधायक निधि, सांसद निधि स्वेच्छानुदान जैसे फंड से सरपंच और विभाग के आला अफसर मिल बाँट कर जनता को चुना लगा रहे है मुझे गंभीरता से लगता है कि केन्द्र सरकार की सहायता से चलने वाली योजनाओं का जो दुरुपयोग राज्य सरकारों के टुच्चे अधिकारी कर रहे है और राजनैतिक सांठ-गाँठ से या माथे पर सिन्दूर लगाकर रामनामी चादर ओढकर रूपया बना रहे है वो शोचनीय है साथ ही बहुत गंभीर भी. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थय मिशन में हुआ घोटाला इसका बड़ा सबुत है. मीडिया के लोग भी स्थानीय स्तर पर इस तरह के मामलों से जुड़े है.............जहां मै काम करता हूँ वहाँ जिला पंचायत अध्यक्ष ने तालाबो की खुदाई और रूपये खा जाने की बात का खुलासा करते हुए कर्मचारियों की सूची सौपी थी राज्य शासन को, पर आज तक कोई कार्यवाही ना होना प्रशासन की पंगुता को दर्शाता है साथ ही राज्य भर में फैले विनाश की भी पुष्टि करता है. इस मामले में हम सब भारतीय है चाहे बिहार हो म प्र हो या यु पी............
आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...
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