हम हिन्दुस्तानी हर बात में बहुत ही ढोंगी है और बेहद ही असंवेदनशील और यह तब पुख्ता होता है जब घरों में खुशी या गमी का माहौल होता है. मेरे घर के सामने शादी है अभी देवास आया हूँ तो सुनकर अच्छा लगा पर अब ढोल नगाडो और डी जे से परेशान हो गया हूँ रात आठ बजे से चल रहा है धींगा मश्ती माना कि शादी ब्याह जीवन में एकबार होते है पर इसका यह तो मतलब नहीं कि सारा मोहल्ला परेशान हो जाए, सडको पर बारात निकालो तो सारी जनता को परेशान कर दो, बेहद अश्लील गाने और बेहद भौंडे नृत्य करती युवापीढी जिसमे लडकियां भी शामिल है (माफ कीजिये मै स्पष्ट लिख रहा हूँ ) यह बेहद शर्मनाक है. आज जबकि प्रदेश में परीक्षाएं चल रही है बोर्ड के बच्चे पढ़ रहे है किसी के घर में कोई गंभीर मर्रीज है, मेरे जैसे लोग दो पल सुस्ताने दूर परदेश से घर आये है और यहाँ बस शादी है अब चार दिन हंगामा चलेगा.......................बड़ े दिनों के बाद मिली है ये दारु और काला कव्वा काट खायेगा सच बोल....................कब तक हम लोग पितृसत्ता के दंश में डूबे ये पुरातन पंथी परम्पराएं निभाते रहेंगे और लडके वाले बनाने का दंभ ढोते रहेंगे यह जानते हुए कि लडकिया लगातार कम हो रही है और फ़िर भी लडके वाले होने का शूरवीरपना जा नहीं रहा ...........
हो रही शादी में अभी चिकनी चमेली, मेरा नाम है लखन, मुन्नी बदनाम हुई, आमी काका बाबा नी पोरिया रे, चोली के पीछे क्या है, मुझको राणाजी माफ करना गलती म्हारे से हो गयी...और पंजाबी गीत जो निहायत ही द्वी अर्थी और भौंडे है शुरू हो गए, बड़े दिनों के बाद मिली दारु का सुरूर अब रंग ला रहा है और ढोल वाले कपकपाते हाथो से रोजी की खातिर बजा रहे है, डी जे वाले बच्चे की आँखों में नींद जमकर तैर रही है, माईक वाला बार बार चिंतित स्वर में शायद अपनी बीबी को समझा रहा है कि थोड़ा और इंतज़ार कर ले पगली थोड़ी टीप मिल जावेगी तो कल का रविवार मन जाएगा, मोहल्ले के लोग देख रहे है जिसमे मै भी शामिल हूँ और अपने परमात्मा से प्रार्थना कर रहे है कि हे प्रभु ये बंद करावाओ ताकि कुछ पल निंदिया की गोद में शरण ले सके............
जय हो महान भारतीय परम्परायें
हो रही शादी में अभी चिकनी चमेली, मेरा नाम है लखन, मुन्नी बदनाम हुई, आमी काका बाबा नी पोरिया रे, चोली के पीछे क्या है, मुझको राणाजी माफ करना गलती म्हारे से हो गयी...और पंजाबी गीत जो निहायत ही द्वी अर्थी और भौंडे है शुरू हो गए, बड़े दिनों के बाद मिली दारु का सुरूर अब रंग ला रहा है और ढोल वाले कपकपाते हाथो से रोजी की खातिर बजा रहे है, डी जे वाले बच्चे की आँखों में नींद जमकर तैर रही है, माईक वाला बार बार चिंतित स्वर में शायद अपनी बीबी को समझा रहा है कि थोड़ा और इंतज़ार कर ले पगली थोड़ी टीप मिल जावेगी तो कल का रविवार मन जाएगा, मोहल्ले के लोग देख रहे है जिसमे मै भी शामिल हूँ और अपने परमात्मा से प्रार्थना कर रहे है कि हे प्रभु ये बंद करावाओ ताकि कुछ पल निंदिया की गोद में शरण ले सके............
जय हो महान भारतीय परम्परायें
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