'माया मेमसाब' का ये गीत
मेरे सराहने जलाओ सपने
मुझे ज़रा सी तो नींद आए
खयाल चलते हैं आगे आगे
मैं उनकी छाँव में चल रही हैं
ना जाने किस मोम से बनी हूँ
जो कतरा कतरा पिघल रही हूँ
मैं सहमी रहती हूँ नींद में भी
कहीं कोई ख्वाब डस ना जाए
मेरे सराहने जलाओ सपने...
कभी बुलाता है कोई साया
कभी उड़ाती है धूल कोई
मैं एक भटकी हुई सी खुशबू
तलाश करती हूँ फूल कोई
जरा किसी शाख पर तो बैठूँ
जरा तो मुझको हवा झुलाए
मेरे सराहने जलाओ सपने...
मेरे सराहने जलाओ सपने
मुझे ज़रा सी तो नींद आए
खयाल चलते हैं आगे आगे
मैं उनकी छाँव में चल रही हैं
ना जाने किस मोम से बनी हूँ
जो कतरा कतरा पिघल रही हूँ
मैं सहमी रहती हूँ नींद में भी
कहीं कोई ख्वाब डस ना जाए
मेरे सराहने जलाओ सपने...
कभी बुलाता है कोई साया
कभी उड़ाती है धूल कोई
मैं एक भटकी हुई सी खुशबू
तलाश करती हूँ फूल कोई
जरा किसी शाख पर तो बैठूँ
जरा तो मुझको हवा झुलाए
मेरे सराहने जलाओ सपने...
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