भारत मे अंदाजन साढ़े छह लाख गांव है, कस्बों और शहरों को छोड़ दीजिए, औसतन पांच लोगों की भी एक गांव में यदि कोरोना से मृत्यु हुई है - तो जोड़ लीजिये कुल कितनी मृत्यु एक साल में हुई है
सीधा सा गणित है - इतना तो आता होगा न आपको
आप सवाल पूछिये सिर्फ़ - जवाब देने की बारी सरकार की है, आप नही पूछेंगे तो आप हमेशा की तरह से ठगे जायेंगे और याद है ना आपने नोटबन्दी के दौरान भी नही पूछा था कि क्यो, कैसे , कितने मरे या कितने ब्लैक के रुपये वापिस आये
बोलिये, पूछिये और अपने लिये नही - पर अपने परिजनों, पड़ोसियों, दोस्तों और गांव समुदाय के लोगों को कम से कम कोविड से मरने वाले या आपदा यानी महामारी की मृत्यु सूची में तो डलवा दें - इतना भी नही कर सकते तो अपने आपको इंसान कहलवाना बन्द कर दें
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बुद्ध की कथाओं ने जीवन समझने में मदद की, हम सबमें एक बुद्ध है जो रोज कथाओं को रचता है, जीता है और अपने लिए जीवन धर्म बनाता है - आईये इस बुद्ध को जिंदा रखें और अपने भीतर ही जीवित रहकर कर्म करते हुए निर्वाण को प्राप्त हो, बुद्धत्व की ओर उन्मुख हो
बुद्ध जयंती की स्वस्तिकामनाएँ सबको
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पद्मश्री अण्णासाहेब जाधव भारतीय समाज उन्नति मंडल भिवंडी संचलित तथा एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई संलग्नित - "अंबिकाबाई जाधव महिला महाविद्यालय, वज्रेश्वरी, तहसील - भिवंडी, जिला ठाणे (महाराष्ट्र)" - में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (वेबिनार) - "आज़ादी के पचहत्तर साल और हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त मनुष्य जीवन" - विषय पर सम्पन्न हुआ जिसमें एक सत्र की अध्यक्षता अपुन ने की
इस वेबिनार में हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक,आलोचक तथा विद्वानों को प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था -
1. प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, इग्नू, नयी दिल्ली
2. श्री. राजकुमार राकेश, हिमाचल प्रदेश
3. डॉ. गणेशराज सोनाले, औरंगाबाद
4. प्रो. सुनीता साखरे, मुंबई
5. प्रो. संदीप नाईक, देवास, मध्यप्रदेश
6. डॉ. भगवान गव्हाडे, औरंगाबाद
7. डॉ. सर्वेश कुमार मौर्य, मैसूर, कर्नाटक
8. डॉ. चैनसिंह मीणा, नयी दिल्ली
मित्र डाक्टर एवं हिंदी विभागाध्यक्ष Gangadhar Chate और अनुज डाक्टर एवं प्राध्यापक Shiva Wavalkar का संयोजन अत्यंत प्रभावी और अकादमिक था, इन दोनों का दिल से आभार, काफी लम्बी बातचीत हुई और लंबे समय बाद अनुज जितेंद्र श्रीवास्तव, चैन सिंह मीणा, अग्रज राजकुमार राकेश जी और बाकी वक्ताओं के विचारोत्तेजक वक्तव्य सुनने को मिलें
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"ब्लैक, सफ़ेद और पीले फंगस के बाद बैजानिहपीनाला वाले रँगों के फंगस डिटेक्ट हो जाने के बाद मैं इस्तीफ़ा दे दूँगा और झोला उठाकर चल दूँगा मित्रों"
- नरिंदर नाथ मोई का कन्फेशन - सुधीर और रजत से एक निजी बातचीत में
[ जिसने दसवीं / गियारबी तक बिग्यान पढ़ा हेगा बोई समझेगा जे बात, बाकी रायता ना फैलाएं ]
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Dear Daddy
Sandeep and Pinky Faraar
Grand son of Sardar
Pinky Memsaab
Woman in Window
कुरुक्षेत्र
लोनावाला बायपास
आखिरी दो मराठी बाकी हिंदी - पिछले तीन चार दिनों में देर रात देखी फिल्में है -ताकि सनद रहें, नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर
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