प्रिय संदीप दा,
आपको याद करते हुए मेरे ज़हन में रईस अंसारी का एक शे'र अनायास ही कौंध जाता है -
"कोई दरख्त कोई साएबाँ रहे न रहे
बुजुर्ग ज़िंदा रहें आसमां रहे न रहे "
उम्मीद करता हूं इस शे'र की प्रासंगिकता और हम जैसे युवाओं के लिए आप जैसा आसमान सलामत होगा । चौबीस घंटे की लगातर बारिश के बाद आज धूप दिख रहा है। धूप की किरणें मेरे कमरे में आहिस्ता-आहिस्ता दबे पांव चली आ रही है । ठीक वैसे ही जैसे आपकी दुआएं आती हैं । संयोग देखिये, इन दोनों से ही हमें ऊर्जा मिलती है।
कुछ सप्ताह पहले आप कोविड की चपेट में थे । कोविड आपके चपेट में था या आप उसके चपेेट में यह कहना थोड़ा कठिन है।
अरे! आप जैसे जिंदादिल इंसान के पास जाकर वो झक ही मारा होगा । बेचारा पछता रहा होगा कि हम किस व्यक्ति के यहां आकर फँस गये । ये तो रोज हँसता रहता है, मूवी देखता है और मदमस्त अपनी धुन में गाते रहता है।
आपका होना हमलोगों के लिए उतना ही जरूरी है जितना की बारिश के लिए बादल का होना । आपकी बेबाकी, आपका अल्हड़पन,आपके व्यंग्य और आपकी बातें समुद्र की तरह है । जहाँ गोता लगाओ तो फिर दर्जनों देशों की यात्रा करने जैसी अनुभूति होती है।
पहली बार जब आप से बातें हुई तो लगा जैसे, कोई बीस-पच्चीस साल का युवा बात कर रहा हो । आपकी बातों में जो जीवंतता है वो मुझे बेहद प्रभावित करती है। उम्र के इस पड़ाव पर आपकी जीजिविषा हिमालय की चोटी को चुनौती देती जान पड़ती है। सच में आपने जिंदगी से मोहब्बत की है। और जिंदगी से मोहब्बत करने वाले हर इंसान से मुझे मोहब्बत है।
आपने अपना जीवन अध्यापन में व्यतीत किया है। "व्यतीत किया है" यह कहना आपके साथ न्याय नहीं होगा । आपने अध्यापन को जिया है। आपके वे छात्र कितने सौभाग्यशाली रहे होंगे जिन्होंने आपको पाया होगा । आप उस किसान की तरह जिसने मेधा की खेती की है । जिसकी फसलें पूरी दुनिया को हरा-भरा बनाये रखेगी । एक किसान के लिए इससे ज्यादा गर्व की बात और क्या हो सकती है ।
आपकी उपस्थिति हम जैसों के लिए तकनीक का एक बेहतरीन उपहार है, जिसे मैं तो कम से कम खोना नहीं चाहूंगा । आपको मेरी उम्र लग जाये । आप यूं ही मुस्कुराते रहे, सलामत रहे ।
आपका अनुज
आदित्य रहबर 20 May 2021 FB post
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इंदौर में सबसे ज़्यादा आंकड़े छुपाये गए है और इस पूरे खेल के पीछे इंदौर के नीच कर्मों के मैनेजमेंट गुरु एवं निकम्मे कलेक्टर के कारण सारा मौत का और आकंड़ों का मैनेजमेंट हो रहा है, देवास जैसे शहर के आंकड़े छुपाए जा रहें है , शर्मनाक है यह सब इंदौर कलेक्टर को भाप्रसे का सबसे भ्रष्ट और मामा यानी मुख्यमंत्री के दलाल के रूप में निरूपित किया जाना चाहिये, इस जैसे आदमी को तो केस स्टडी के रूप में लबासना, मसूरी में पढ़ाया जाना चाहिये कि कैसे एक भ्रष्ट प्रमोटी अफसर मौत के आंकड़े छुपाकर मौत का सौदागर बन गया, जाहिर है इसके ऊपर स्थानीय नेताओं और मुख्यमंत्री का वरदहस्त है और भोपाल में सिंहस्थ के दौरान मुख्य मंत्री के करीब आये और करोड़ो रूपये का खेल करने वाले शख्स को राजधानी का मुखिया बनाया गया है जो इससे भी बड़े वाला है
मप्र में कुपोषण, महिला हिंसा, बेरोजगारी के आंकड़ों के साथ अब शिवराज सरकार मौत की भी सौदेबाजी करके आंकड़ों से खिलवाड़ कर रही है देख लीजिये 18 साल में शिवराज कितने उस्ताद हो गए है - सरकार खरीदी में ही नही, अब मौत छुपाने में भी पारंगत है - मित्रों और जिताईये इन लोगों को जो आपको मरने के बाद भी नही छोड़ेंगे - संस्कार, संस्कृति और पार्टी विथ डिफरेंस वाले लोग मुबारक आप सबको, ऐसा ही हिंदू राष्ट्र चाहते थे ना
और लाशें आंकड़े छुपाने से क्या होगा मामा, हर घर में मौत है और भगवान ना करें .....
कितना शर्मनाक है कि हिंदू राष्ट्र में मौत को दर्ज भी नही किया जा रहा, सम्मान देना और अंतिम संस्कार करना तो दूर , शर्म करो केंद्र सरकार कि तुम मन्दिर, प्रधानमंत्री का निवास और अपनी सरकार का विष्ठा प्रोजेक्ट बनवा रहें हो, आक्सीजन की इतनी कमी के बाद भी मप्र के छतरपुर में बकस्वाहा के जंगल उजाड़ रहे हो - कितने घटिया नीच हो तुम सब
शर्मनाक - छि छि छि
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कोरोना के इलाज के नाम पर प्रदेश में तमाम गाइड लाइन्स होने के बावजूद भी नर्सिंग होम वाले लूटपाट मचा रहें हैं, एक मरीज का छह से सात दिन का खर्च तीन से आठ लाख पड़ रहा है
ऐसा ही एक प्रकरण हमारे एक साथी के साथ हुआ और दुर्भाग्य से वे बच भी नही पायें, अस्पताल का जब फाइनल बिल बना तो कुछ तो भी था मसलन पंजीयन शुल्क ₹ 50000/- लिया था और कई सारे अग्रिम का उल्लेख नही था, ऑक्सीजन के रुपये ज्यादा लगाए थे, हम तो हैरान थे फिर जब मृतक साथी की मौत का मातम थोड़ा कम हुआ तो हमने तमाम बिल्स को समझा, अस्पताल से पूछा और फिर स्थानीय युवा साथियों ने प्रशासन को कलेक्टर को शिकायत की
कलेक्टर और एसपी ने शिकायतें वाजिब पाई और अस्पताल संचालक को हड़काया, जाँच में यह पाया गया कि नर्सिंग होम कई तरह की अनियमितताएँ कर रहा है और शासकीय अमला सही समय पर निरीक्षण कर ध्यान भी नही देता
आखिर सत्य की जीत हुई नर्सिंग होम संचालक ने ₹ 57325/- मृत साथी के परिजनों को लौटाएं
मित्रों, नजर रखिये अपने आसपास, पैथोलॉजी के भी सरकार ने रेट्स निर्धारित किये है नर्सिंग होम और डाक्टर्स की फीस भी, मानवता की सेवा की आड़ में ये आपको लूटने ना लगें - यदि ऐसा लगता है तो शिकायत कीजिये सारे बिल, चिठ्ठी और पुर्जे सम्हाल कर रखिये ताकि सब सबूत समय आने पर दिए जा सकें
यहाँ लिखने का यह उद्देश्य नही कि हम डाक्टर्स या निजी अस्पतालों के ख़िलाफ़ है या किसी को टारगेट बनाकर बदनाम कर रहें है बल्कि यह है कि आपदा में अवसर खोजकर कमाने वाले इंसानियत के जानी दुश्मनों से सतर्क रहें जागरूक रहें
उन कलेक्टर साहब और एसपी साहब का आभार जिन्होंने त्वरित कार्यवाही की और लालची भेड़िये को सबक सीखाया
#खरी_खरी 18 may FB Posr
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सरकारें इतनी तानाशाह और बदमिजाज हो गई है कि न्यायपालिका के आदेशों का उल्लंघन कर रही है, इतनी तीखी टिप्पणी के बाद तो राष्ट्रपति को इन जैसों को बर्खास्त करना चाहिये पर वो बापड़ा भी भीगी बिल्ली बनकर छुपा बैठा है
स्वास्थ्य के अधिकार को संविधान के मूल अधिकार में शामिल किए बिना इन जैसे अड़ियल और गधों से निपटना मुश्किल है, काश कि अंबेडकर इस बात की कल्पना कर लेते या पूर्ववर्ती सरकारें इस पर विचार करती, इन गंवारों और जड़ बुद्धि भाजपा नेताओं से तो यह उम्मीद करना बेकार है
पूरा गुंडाराज है हर तरफ और किसी का जूता किसी के पांव में नही है अराजक और मूर्खता का हर जगह राज है , अनपढ़ और गंवारों को राजकाज देने का यही अर्थ है और दुष्ट लोग कह रहे हैं कि जो मर गए वो मुक्त हो गए, भगवान इन सबकी मुक्ति भी जल्दी करें
संविधान का मखौल उड़ाना और अपनी मनमर्जी करना इनकी आदतों में शुमार हो गया है ताज़ा उदाहरण उप्र सरकार का है, राज्यो में बैठे प्यादे और केंद्र में बैठे वजीर, गधे, घोड़े और हाथी कुल मिलाकर अब घर भर रहें है - क्योंकि इन्हें यह समझ आ गया है कि अब इनकी दाल नही ग़लेगी 2024 या इसके पूर्व वाले राज्यों के चुनावों में और ये गंजा तो जाएगा बुरी तरह से
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