छग के सूरजपुर कलेक्टर भी पुलिसिया गुंडागर्दी पर उतर आए है, क्यों ना इस कलेक्टर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की जाये जो किसी नागरिक को सड़क पर पीट रहा है, इसकी नौकरी या तो खत्म हो या इसे उसी जिले के कलेक्टर दफ्तर में चपरासी के पद पर डिमोट कर दिया जाये इस तरह से यह एक नज़ीर बनेगी - ताकि अगली बार कोई इतनी निर्लज्जता से संविधानिक प्रदत्त नागरिक की गरिमा से खिलवाड़ नही कर सके
ब्यूरोक्रेट्स अगर इस नीचता पर उतर आएगा तो क्या किया जा सकेगा, ये देश के क्रीम है या कलंक और अब माफ़ी मांगकर क्या कहना चाहता है यह उजबक, देश से ना ब्रिटिश राज गया है ना संस्कार, इन्हें जिस तरह से पैम्पर किया जाता है - वह बहुत ही घातक है
फिर कहता हूँ कि जब तक "लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक प्रशिक्षण अकादमी, मसूरी" को एक बम लगाकर उड़ा नही दिया जाता और इस चयन प्रक्रिया से लेकर इनके प्रशिक्षण में आमूल चूल परिवर्तन नही होता - तब तक ये इसी तरह से गुंडे मवालियों की तरह काम करते रहेंगे - फिर वो IAS , IPS हो या IFS - जो आदिवासी इलाकों में वन कानूनों के नाम पर आदिवासियों और ग्रामीणों को अकारथ प्रताड़ित करते रहते है
यह बेहद चिंताजनक है कि 75 वर्षों बाद भी यह कौम अँग्रेजी मानसिकता में और खुद को राजा समझने की प्रवृत्ति में जी रही है - बजाय इस समय में लोगों को मदद करने के
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एक से निपट नही रहें, दूसरा, तीसरा हाजिर हो रहा है
बीमारी ना हुई गोया दैनन्दिन की समस्या हो गई - पानी नही आया, बिजली चली गई और फिर गैस सिलेंडर खत्म, ऊपर से मेहमान आ गए
कई ट्रेन है यहाँ जो इस बड़े से स्टेशन के अलग - अलग प्लेटफॉर्म्स पर खड़ी है और हम सबका आरक्षण कन्फर्म है, अपने पुण्य और पाप की गठरियाँ लिये खड़े है, हम बस अपनी - अपनी गाड़ी चलने का इंतज़ार है, टुकुर टुकुर गार्ड की ओर ताक रहें है कि कब हरी झंडी हो और इस मकाम से आगे बढ़े, इंजन की सीटी का शोर तेज़ी से गूंज रहा है, कुछ सुनाई नही पड़ रहा, किसी को किसी की फ़िक्र नही है, बस मैं सुरक्षित रह जाऊँ, ठीक से अपनी सीट पर धँस जाऊँ यही आरजू है, कुछ सूझ नही रहा, इस भीड़ में हजारों लटक गये है यहाँ वहाँ
हंसी ही आ सकती है - लगता है ईश्वर, जीसस, वाहे गुरु और अल्लाह जनसँख्या नियंत्रण करने को ही बैठे हो, पृथ्वी पर बोझ भी बढ़ ही गया है, ना जाने कैसे सब कुछ थमा हुआ है अब तक
चलत मुसाफिर
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अभी हम सबको मप्र के बकस्वाहा में आपके मार्गदर्शन की जरूरत थी जहाँ मप्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय पूरा जंगल नष्ट करने पर उतारू है और दुनिया को भी जब पर्यावरण ना सरकार का मुद्दा है ना जनता की प्राथमिकता
नमन सुंदरलाल बहुगुणा जी
आपका नाम आधुनिक भारत में अमर रहेगा
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